बचत की भावना
गर्मी की छुट्टियों में एक अति कन्जूस पति नें अपने रूपयें बचानें के उद्देश्य से अपनी पत्नी को बच्चों सहित मायके भेज दिया, और नित्य प्रतिदिन कंजूस यह सोचकर खुश होता कि उसके रूपयों की खूब बचत हो रही है तथा सभी प्रकार के खर्चो से वह कुछ समय के लिए मुक्त है। तथा कंजूस स्वयं भी एक समय ही भोजन करता। रात्रि को खाना न बनाना पड़े इसलिए पानी पीकर ही सो जाता और यदि कभी ज्यादा भूख सताती तो किसी यार दोस्त के घर चला जाता औऱ वहॉ से पेट भरकर चला आता।
एक दिन कन्जूस को याद आया कि अपनें बच्चों औऱ पत्नी की खबर ले आखिर उनके क्या हाल- चाल है। तो उसनें अपनी पत्नी को एक पत्र लिखा –
हे मेरी प्राण प्रिय, कैसी हो बाल बच्चे कैसे है। तुम्हारे मायके जानें के बाद से तुम्हारी व बच्चों की याद मैं तो कोई कमी नही आयी है लेकिन घर के मासिक खर्चे में जरूर कमी आयी है। मैनें तुम्हारे जानें के बाद पूरें 6000 रू की बचत कर ली। मैं ग्रीष्मकालीन छुट्टियों से बहुत खुश हूं और बच्चों से कई गुना अधिक इन छुट्टियों की मुझे खुशी है क्योकि यह छुट्टियॉ आम आदमी के अन्दर एक बचत की भावना को जन्म देती है और बचत करनें का एक सुअवसर प्रदान करती है।
प्रिय, मैं तुम्हे बताता चलूं कि तुम एक भाग्यशाली पत्नी हो जिसें मेरे जैसा पति मिला है जो पत्नी को बिना किसी रोकटोक के मायके भेजनें के लिए सदैव तत्पर रहता है। तुम बच्चों की छुट्टियों के अतिरिक्त भी वर्ष में कभी भी मायके जा सकती हो इसमें मेरी पूर्व से ही स्वीकृति है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि पूर्व की भांति इसबार भी तुम पूरी छुट्टियॉ व्यतीत करनें के बाद ही घर वापस आओगी और एक नयी उर्जा के साथ घर परिवार को चलाओगी।
शेष मिलनें पर...... तुम्हारा पतिदेव
उधर जैसे ही पत्नी को अपनें कंजूस पति का पत्र मिला उसनें तुरन्त लौटती डाक से उत्तर भेजा कि आपके पत्र को मेरे भाई नें मुझसे पूर्व ही पढ़ लिया है। और वह आपकी बचत की भावना से अति प्रभावित हुआ है। इसी भावना से प्रेरित होकर वह शेष एक माह की बची बच्चों की छुट्टियों को यादगार बनानें के लिए मेरे साथ सपरिवार आपके यहॉ पधार रहे है। अपनें परिवार के साथ- साथ मेरे भाई के परिवार की खातिरदारी के लिए आप पूरी रूपरेखा बनायें ताकि मेरे भाई के परिवार की छुट्टियॉ आनन्दमय व्यतीत हो सकें।
शेष मिलनें पर --- तुम्हारी प्राणप्रिय.......
पत्नी के वापसी पत्र को पढ़नें के बाद पति की हालत बिगड़ी, आनन फानन में जिला चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया है। लेकिन अभी तक वह होश में नही आया है।
लेखक
गौरव सक्सेना
उक्त लेख को दैनि्क समाचार पत्र "देशधर्म" नें अपनें 26 जून 2022 के अंक में प्रकाशित किया है।