मॉ, भारतीय रेलवे के अलावा इस संसार में अपना कौन है ?
मॉ मॉ कहॉ है तू जल्दी आ..... अब क्या होगा, बचाओ बचाओ....
अरे क्या हे रे क्यो चिल्ला रहा है कौन सा पहाड़ टूट पड़ा, मॉ ने जोर से आवाज
लगाते हुये कहा।
अरे मॉ आज अपने रेलवे स्टेशन पर बहुत सारे सूट
बूट वाले बड़े साहब आये थे और उनके साथ पुलिस वाले भी थे जो हम जैसे लोगो पर
गुस्सा कर रहे थे और वहॉ से हम सभी को भगा रहे थे। और यह लोग आपस में कुछ प्राईवेट
लोगो को अपना रेलवे स्टेशन देने की बात कर रहे थे। क्या बात है यह प्राईवेट लोग
कौन है ?
अरे बेटा कुछ नही, अपना घर प्यारा रेलवे स्टेशन
अब अपना नही रहेगा। अब सरकार स्टेशन को प्राईवेट बड़े – बड़े अमीर लोगो के हाथो मे
देने जा रही है। तो क्या मॉ अपना घरोंदा भी नही रहेगा, बेटे ने बीच में ही बात
काटते हुये उत्सुकता से पूंछा ? हॉ बेटा नये लोग
होगे और नयी बाते होगी सब कुछ ही नया होगा। तो भला हमे और हमारी झोपड़ी की क्या
औकात, उसे तो बस शक्तिशाली मशीन से कभी भी हटाया जा सकता है। तो फिर मॉ हम लोग कहॉ
रहेगे, अपना तो इस संसार में रेलवे स्टेशन के अलावा कोई भी नही है। मॉ तुझे याद है
न कि तू कैसे स्टेशन पर लोगो को गाना सुनाकर और सामान बेंचकर मेरे लिए खाना लाती
थी और मैं दिनभर कैसे स्टेशन पर धमाचौकड़ी करता रहता था।
हॉ बेटा, बहुत याद आयेगा अपना स्टेशन, इस रेलवे
स्टेशन की बहुत सारी पुरानी यादे जो बसीं है, न जाने बेटा क्या होगा हम जैसे लोगो
का ? लेकिन तू फिक्र मत कर ईश्वर
ने पेट दिया तो वह पेट भी भरेगा। वह बहुत दयालु है रे .....
लेकिन मॉ सरकार ऐसा क्यो कर रही है ? बेटा, भारतीय रेल अपने देश
की जीवन रेखा है इसे और अधिक मजबूत और सुविधायुक्त बनाने के लिए सरकार यह कदम उठा
रही है। इससे भारतीय रेल को एक अलग पहचान मिलेगी। लेकिन मॉ हमारा क्या होगा...हम
लोग कहॉ जायेगे।
अरे बेटा, देश की खुशहाली होगी तो अपने भी कभी न
कभी दिन फिरेगे... हमारी भलाई के लिए भी कुछ न कुछ जरूर होगा। हमे अभी इन्तजार
करना होगा।...
लेखक
गौरव सक्सेना
0 Comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in comment Box