गहराता जल संकट
प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस इस उद्देश्य के साथ मनाया जाता है कि धरती पर स्वच्छ पीने योग्य जल बच सके और आगे आने वाली पीढ़ियों की भी प्यास बुझ सके। क्योंकि जल अमृत है और इसके बिना तो मानव जीवन की कल्पना भी नही की जा सकती है। इसके बाबजूद जल संरक्षण की दिशा में लोगों में गंभीरता का अभाव दिखता है। कार्यक्रमो और गोष्ठियों में चर्चा तो खूब होती है, लेकिन अफसोस इस बात का है, कि लोग अपनें स्तर पर जिम्मेदारी निभाने से बचते है और इसे सिर्फ सरकार का ही विषय मानकर छोड़ देते है। यही कारण है कि वाहन साफ करनें के वैकल्पिक तरीके होनें के बावजूद भी लोग नलों के पानी से घन्टो वाहन साफ करते दिखायी पड़ते है। घरों, मौहल्लों में जल के बेतहाशा दोहन की तस्वीर अब आम बात हो गई है। नलों से बहता जल, पाइपलाइन से निरन्तर बहता पानी हमें भविष्य में भयकर जल संकट की ओर ले जा रहा है। विशेषज्ञों नें हमे यहां तक चेताया है कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के कारण ही होगा, लेकिन फिर भी जल संरक्षण के प्रति हमारी लापरवाही आखिर क्या दिन दिखाना चाहंती है।
नीति आयोग के अनुसार भारत के 21 शहरों का भूजल प्रदूषित हो चुका है, जिसमें दिल्ली – एनसीआर भी शामिल है। नोएडा जैसे बड़े शहरों का भूजल स्तर पिछले 5 वर्षों में करीबन 1.5 मीटर तक नीचे जा चुका है। यदि इस ओर हमारी लापरवाही इसी प्रकार रही और समय रहते ठोस कदम नही उठाये गये तो वर्ष 2030 तक भारत की 40 प्रतिशत आबादी को स्वच्छ जल उपलब्ध नही हो पायेगा।
14 लाख लोग प्रतिवर्ष प्रदूषित जल और स्वच्छता की कमी के कारण हुई बीमारियों से काल के गाल में समा जाते है और 7.4 करोड़ लोगों की उम्र गंदे पानी और स्वच्छता में कमी के कारण फैली बीमारियों के कारण निरन्तर घट रही है।
यह आंकड़े इतनें भयावह है कि बिना शुद्ध जल के जीवन की कल्पना मात्र से हद्य विचलित हो उठता है। निरन्तर जल संसाधनों का घटना, प्रदूषित होता जल, बेतहाशा जल बर्बादी एक विकराल समस्या बनी हुयी है। जिसे देखकर तो यहीं लगता है कि जल संरक्षण के प्रति लोगो में दिलचस्पी नही रही है और लोग भविष्य के गहराते जल संकट के प्रति गम्भीर भी नही है।
आज जरूरत है कि जनसहभागिता के साथ जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाये जाये और हर एक व्यक्ति को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जायें तथा इसकी शुरूआत स्वयं से ही की जाये। इस बार विश्व जल दिवस की थीम भी है – “स्वयं में वह बदलाव लाएं, जो बदलाव आप दुनियां में देखना चाहंते है।” वास्तव में यह थीम ही सम्पूर्ण विश्व में जल संकट को दूर करनें की राह दिखा सकती है। जब तक हम स्वयं जल संरक्षण की दिशा में पहल नही करेगे तब तक किसी सार्थक परिणाम की आशा करना केवल दिवास्वपन देखनें जैसा ही है।
गौरव सक्सेना
युवा व्यग्यकार
उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र "देशधर्म" नें अपनें दिनांक 23 मार्च 2023 के अंक में तथा दैनिक जागरण समाचार पत्र ने 25 मार्च 2023 के अंक में प्रकाशित किया है।
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