व्यंग : महाभारत के युद्ध में कोरोना महामारी

 

व्यंग : महाभारत के युद्ध में कोरोना महामारी


महाभारत के युद्ध में कोरोना महामारी

 

महाभारत का युद्ध चल रहा है। चारो तरफ सिर्फ चीतकार ही चीतकार सुनाई दे रहा है। धृतराष्ट्र अपनें प्रिय पुत्रों की जीत का जश्न मनाने के लिए बेताब होकर संजय से युद्ध का हाल जानना चांह रहे है। कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के कारण संजय को भी रिपोर्टिग करने में दिक्कत आ रही है। लेकिन फिर भी अपने महाराज के लिए वह पी.पी.ई. किट पहन कर उनसे दो गज की दूरी बना करा अपनी दिव्य दृष्टि से युद्ध का लाईव प्रसारण कर रहे है।

किसकी जीत हो रही संजय........ क्या चल रहा है युद्ध में।

जी महाराज, अब युद्ध और राजनीति दोनो ही भीषण रूप ले चुकी है, युद्ध महामारीमय हो चुका है। अपने सैनिक मारे जा रहे है।

संजय तो क्या हमारे सैनिको को भी कोरोना हो गया है। जी महाराज अपने सैनिक कोरोना महामारी से संक्रमित हो चुके है, कुछ की तो प्राणवायु ही कम हो चुकी है वे सभी ऑक्सीजन सिलेण्डर पीठ पर कसकर युद्ध कर रहे है।

तभी अचानक से संजय का फोन बज उठता है। जी सर जी सर .... जी सर कल 600 सैनिक शहीद हो गये थे। फोन कटते ही महाराज नें पूछा.....

संजय किसका फोन था किससे तुम सर- सर कर रहे थे। महाराज चित्रगुप्त जी का फोन था, कल युद्ध में मारे गये सैनिको की संख्या कन्फर्म कर रहे थे। अब महामारी के कारण उनका भी काम बढ़ गया है।

तो क्या संजय देव लोक में भी कोरोना फैल चुका है ? जी महाराज! देवलोक भी कोरोना से बच नही पाया, लेकिन सही बचाव और कुशल प्रबन्धन के चलते अब वहॉ की स्थिति नियन्त्रण में है। स्वंय चित्रगुप्त जी भी वर्क फ्राम होम ही कर रहे है।

यह युद्ध कितने दिन चलेगा, संजय जल्द बताओ......

जी महाराज युद्ध कितने दिन चलेगा यह बता पाना तो मुश्किल है लेकिन शनिवार और रविवार को युद्ध विराम रहेगा।

क्यो ऐसा क्यो...  इन दो दिनो में क्या खास है।

हॉ महाराज, इन दो दिनो में इन्द्रलोक से सेनेटाइजर की वर्षा की जायेगी जिससे कि कोरोना महामारी को समाप्त किया जा सके।  

अरे संजय मुझे भय लग रहा है.....

महाराज भयभीत न होवे... आत्मा अजर और अमर है उसे कोई नही मार सकता है।

संजय पाण्डव सेना का भी हाल बताओ ?

जी महाराज, पाण्डव सैना पूरे मन से युद्ध कर रही है। तो क्या उनके सैनिक संक्रमित नही हुये। नही महाराज, उनके सैनिक डबल मास्क लगाये पी.पी.ई. किट पहन कर आपकी सेना का काम तमाम कर रहे है।

तो क्या मेरे सैनिक अपना बचाव नही कर रहे है।

नही महाराज, आपके सभी सैनिक घोर अहंकार मे चूर है इसलिए बिना मास्क के ही युद्ध जीतना चांह रहे है। उनकी यही बचकानी सोच ही तो उनकी मृत्यु का कारण है।

संजय युद्ध भूमि पर सन्देश भिजवाओ की सभी लोग संक्रमण से अपना बचाव करें।

नही महाराज, आपके आदेश से पूर्व ही आपके वैद्ध ने सभी को बचाव के लिए दिशानिर्देश दिये थे। परन्तु आपके अंहकारी और हठी पुत्र दुर्योधन नें उन्हे ही अपमानित करके राजभवन से भगा दिया था। अब वह पाण्डव सेना मे अपनी सेवाये दे रहे है।

संजय कुछ करो,  नही तो सभी सैनिको के साथ मेरे पुत्र भी कोरोना की भेट चढ़ जायेगे।

अब बहुत देर हो चुकी है महाराज, अब कुछ नही हो सकता।

दुर्योधन की कोरोना के प्रति लापरवाही ही आपके कुल का नाश करेगी। मनुष्य को समय के अनुरूप चलना चाहिये, यह समय युद्ध और राजनीति करने का नही था बल्कि सही रणनीति और बचाव के साथ कोरोना महामारी पर विजय पाने का था।

महाराज यह ही बुद्धिमत्ता कहलाती है जो कि शायद कोरवों के पास दूर- दूर तक नही है।

महाराज अपने ही पुत्रो के कर्मो से शर्मिन्दा होकर धड़ाम से सिहासन पर गिर पड़े और संजय उन्हे उनकी सेना और पुत्रों की मृत्यु का समाचार लगातार सुनाते जा रहे है......................

 

लेखक

गौरव सक्सेना

उक्त व्यंग लेख को दैनिक समाचार पत्र "देश धर्म" नें अपनें सम्पादकीय पृष्ठ पर दिनांक 13 जून 2021 को प्रकाशित किया। 

व्यंग : महाभारत के युद्ध में कोरोना महामारी


Gaurav Saxena

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