उजड़ते घरौदे

                                                उजड़ते घरौदे



दिनो-दिन जीव जन्तुओं, पशु- पक्षियों की घटती संख्या और उनकी बढ़ती समस्याओं के कारण जंगल के राजा नें एक बड़ी सभा का आयोजन किया है। समूचें जंगल में ढ़ोल की जगह कनस्तर को पीट कर सभा के आयोजन की सूचना दे दी गयी है। आज भारी संख्या में जीव-जन्तु तथा सभी पशु-पक्षी अपनी- अपनी समस्याओं को जंगल के राजा शेर के समक्ष रखेंगे। चिम्पू चिम्पांजी डायरी में एक- एक कर सभी के नाम लिख रहा है, सभी लोग अपनी बात रखनें के लिए अपनी बारी का इन्तजार कर रहे है। सभी के सभी घटते जंगल और मानवीय उपेक्षा से खासे नाराज है। उनकी नाराजगी का अन्देशा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि भूखा मिंकू बन्दर खिसियाकर बार-बार खाली पेड़ को ही झकजोर रहा है। वहीं लकड़बग्घा घूम-घूम कर सभी के लात मारकर चला जाता है। सबसे पहले गिरगिट को अपनी बात रखनें का अवसर मिला तो वह बेचारा रोते हुये बोला कि वह आत्महत्या कर लेगा क्योकि अब रंग बदलनें के मामले में वह इन्सानों से मुकाबला नही कर सकता है। पल-पल इन्सान इतना रंग बदल रहा है जिसकी कोई सीमा ही नही है। उसका अब इन्सानों के बीच कोई बजूद ही नही रहा। पनिहा सांप की बारी आनें पर उसनें कहा कि अब इन्सान उससे कहीं ज्यादा जहरीला हो गया है। एक बार सांप के काटे जहर का इलाज हो सकता है लेकिन इन्सान के जहरीले स्वभाव का इलाज तो अब असम्भव ही लगनें लगा है। तभी तो देखो समाज में दिनों- दिन कितना जहर घुलता जा रहा है। सभी नें हॉ में हॉ मिलायी। लोमड़ी की बारी आनें पर उसनें बताया कि चालाकी के मामलें में प्राप्त की गयी सारी डिग्रियों को उसनें यह कहकर जला दिया है कि इन्सानों के सामनें चालाकी के नाम पर केवल अपनी बदनामी करवानें से तो अच्छा स्वयं को अनपढ़ कहलाना है।



जंगल के राजा शेर भी घटते जंगल और बसते शहर के कारण खुद का घर बचानें में असफल थें लेकिन वह करे भी तो क्या करें, सभी को सांत्वना दे रहे थे कि जल्द ही वह सरकार तक सभी की बात पहुंचायेगे। और हम सभी की स्थिति जल्द सुधरेगी। कुत्तों के सरदार कट्टन नें अपनी बारी आनें पर बताया कि अब बफादारी और सुरक्षा से इन्सानों का उसके ऊपर से विश्वास उठ गया है। आज इन्सान सीसीटीवी कैमरा और सुरक्षा गार्डो पर आश्रित हो गया है। मिंकू बन्दर गुस्से में आग बबूला होकर शेर पर ही खिखियाकर बोला कि आप हाथ पर हाथ रखे बैठे है हम लोगो के लिए कुछ करते क्यो नही है। हमारे लिए अब बाग- बगीचे समाप्त हो गये है। इन्सानों नें छतो पर खानें की चीजे सुखाना तक बन्द कर दिया है। हम भुखमरी से मर रहे है, हमारे कोई खेती नही होती है, हम खाये तो क्या खायें...



शेर नें बड़ी मुश्किल से मिंकू को शांत किया तब जाकर कहीं मोर का नम्बर आया तो उसनें बताया कि आज का युवा नशे की हालत में फूहड़ गानों पर अश्लील नृत्य करनें लगा है।  भारतीय संस्कृति का मयूर नृत्य कहीं कलंकित न हो जायें इसलिए अब उसनें अपनें नृत्य का प्रदर्शन करना ही बन्द कर दिया है। 


तभी अचानक से भगदड़ मच गयी पता चला कि इन्सान बड़ी- बड़ी मशीनें लेकर इसी जंगल की ओर आ रहे है, अब यह जंगलों की अन्धाधुन्द कटान हम सभी जीव-जन्तुओं और पशु-पक्षियों का घरौदा उजाड़ देगा। सभी बेचारे अपनें प्राण बचाकर इधर उधर भांगनें लगे।

 

लेखक

गौरव सक्सेना

354 करमगंज,इटावा


उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र "देशधर्म" नें अपनें 12 जून 2022 के अंक में प्रकाशित किया है। तथा अमर उजाला समाचार पत्र नें देश के अपनें सभी संस्करण में दिनांक 19 जून 2022 के अंक में प्रकाशित किया है। 


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Gaurav Saxena

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