नेता जी की डिग्री - व्यंग्य लेख

 

 

नेता जी की डिग्री - व्यंग्य लेख

नेता जी की डिग्री

नेता जी आज कल आराम फरमा रहे है क्योकि अभी–अभी चुनाव पूर्ण हुये है और परिणाम अभी नही आयें है। परिणाम के आनें तक अभी तो कोई काम है नही इसलिए घर पर ही आराम कर रहे है। बीच- बीच में रिमोट की बटनों का लगातार प्रयोग उसी तरह से कर रहे है जिस प्रकार से चुनाव से पूर्व अपनी सभाओं को जल्द पूरा करनें में करते थें। तभी उनके चेलो का एक दल आ धमका, औऱ नेता जी नें रिमोट से टी.बी. को स्विच ऑफ किया, लेकिन अचानक से रिमोट की बैटरी खत्म हो गयी, क्योकि इससे पूर्व रिमोट का इतना अधिक प्रयोग उनके घर पर अब तक कभी नही हुआ था। खैर एक चेला उठा और उसनें अपनें लम्बे हाथों का प्रयोग करके मैन स्विच से टी.बी. बन्द कर दी। यह देख कर नेता जी खुश हुयें और कार्यकर्ता के लम्बे हाथों की प्रशंसा करते हुयें बोले कि राजनीति में लम्बे हाथों की अपनी अलग ही महत्ता है, जिसके जितनें लम्बे हाथ उसकी उतनी ही लम्बी तरक्की। अत: हम सभी को अपनें हाथों को लम्बा करनें हेतु नियमित दण्ड बैठक करते रहना चाहियें।

 

सभी चेलो नें एक स्वर में हॉ हजूरी की, तथा वार्ताओं का सिलसिला जारी हो गया। सभी चेले एक–एक कर अपनी रिपोर्टिंग कर रहे थे। वार्ता शिखर वार्ता का रूप लेती उससे पूर्व ही नेता जी नें अपनें हैड चेला कनचप्पा से पूछा कि हमारी जीत को लेकर उसके पास क्या ऑकड़े है। कनचप्पा को वर्षो का अनुभव रहा है। आजीवन राजनीति में ही चमचागीरी करता रहा है। ना जानें कितनें नेताओँ की चमचागीरी करते – करते आज इस मुकाम तक पहुंचा है। चमचागीरी में तो वह सबसे उच्च डिग्री चमच परास्नातक तक प्राप्त कर चुका है। यही कारण है कि हर एक पार्टी उसे अपनी पार्टी में आनें के लिए आंमत्रित कर चुकी है। कनचप्पे नें सिर खुजलाते हुयें कहा कि इस बार आपकी जीत पक्की है क्योकि लहर आपकी ही ओर चल रही है। तो नेता जी खुश हुये और बोले मेरी लहर चल रही है तो फिर टी.बी. वाले विपक्ष के गुणगान क्यो गा रहे है। 

 

कनचप्पा बोला गुरूदेव राजनीति में घिस-घिस कर मैं अब चन्दन बन चुका हूं। आप मेरी बात पर पूर्ण विश्वास करें और अपने विजय उत्सव हेतु हम सभी को दिशा निर्देशित करें।

नेंता जी -बिल्कुल मैं तुम सभी को जल्द ही आगे की रूपरेखा बताता हूं। और वार्ताओँ का समापन नेता जी की पत्नी की तेज आवाज से होता है कि तुम्हारी चुनावी वार्ता समाप्त हो गयी हो तो बिटिया के कॉलेज के लिए पैसा भिजवा दो। एक सप्ताह से कॉलेज वाले फीस भरनें के लिए रोज फोन कर रहे है। अगर फीस नही भरी तो कॉलेज से नाम काट दिया जायेंगा। फिर दोनो बाप-बेटी लड़ते रहना – चुनाव....

 

मैम साहब के क्रोध को सभी चेलो नें समय रहते भांप लिया और धीरे – धीरे करके सब खिसकनें लगें।

चलते- चलते नेता जी कनचप्पा से कान में बोले कि यार किसी तरह से कुछ जुगाड़ करके मुझे भी कोई डिग्री दिलवा दो। आये दिन जनता और पत्रकार पूछते रहते है कि नेता जी आप की क्वालिफिकेशन क्या है। कनचप्पा बोला मैं एक ऐसे विश्वविद्यालय को जानता हूं जहॉ से आप अपनी इच्छानुसार कोई भी डिग्री बिना पढ़े लिखे व बिना कॉलेज का मुंह देखे घर बैठे ही आसानी से प्राप्त कर लोगे। यही एक आसान रास्ता है अपनें आप को पढ़ा लिखा साबित करनें का। 

 

लेकिन कोई गड़बड़ तो नही होगी, नेता जी ने तुरन्त पूछा।

अरे नेता जी आज तक आपके किसी काम में तनिक भी क्या कोई गड़बड़ी हुयी है ?  

नही, लेकिन कोई मुझसे कुछ पूछनें लगा तो मैं क्या जबाब दूंगा। आज तक आपके कामों के बारे तक में तो किसी नें कुछ नही पूछा और पूछा भी है तो उसका जबाब आपके सेवक कनचप्पा नें सदैव दिया है। फिर तो यह सिर्फ एक डिग्री है।

कनचप्पा का अनुभव काम आया और नेता जी विजयी घोषित हुयें। कुछ ही दिनों में नेता जी राजनीतिशास्त्र से परास्नातक भी हो गये। लेकिन बेचारे एक दिन पत्रकारों के सवालों के घेरे में पड़ गये, बात बढ़ गयी और नेता जी की योग्यता पर प्रश्न चिन्ह लग गया। नतीजन डिग्री की सघन चेकिंग हुयी जो कि फर्जी निकली।

नेता जी नें आनन- फानन में कनचप्पा को बुलाया और कहा यार तूनें मरवा दिया। मेरी डिग्री की पोल खुल गयी। तेरी फर्जी डिग्री से तो मैं अनपढ़ ही अच्छा था।

तो कनचप्पा बोला नेता जी डिग्री के पीछे लिखा भी तो था। कि डिग्री का प्रयोग अपनी रिस्क पर करे। पढ़े लिखे लोगो से न उलझे तथा इसका प्रयोग केवल फेसबुक, व्हाट्सअप तथा विश्वविद्यालय तक ही सीमित रखे। लेकिन आपनें इसे वास्तविक जिन्दगी में उतारा है इसीलिए गहरी मात खा गयें। 

 

लेखक

गौरव सक्सेना

 

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र "देशधर्म" नें अपनें 06 मार्च 2022 के अंक में प्रकाशित किया है। 

नेता जी की डिग्री - व्यंग्य लेख

 

Gaurav Saxena

Author & Editor

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