सरकारी नौकरी का इन्तजार

सरकारी नौकरी का इन्तजार

 

सरकारी नौकरी का इन्तजार

रामलाल अपनी पत्नी और बेटी के साथ गॉव में अपनें कच्चे मकान में रहता है। हर साल सोचता है कि इस बार तो लड़के की सरकारी नौकरी लग ही जायेगी और फिर उसके भी दिन फिर जायेगे। बरसात में पानी से टपकती घर की छत पक्की हो जायेगी। और बिटिया के हाथ पीले। लेकिन रामलाल को शायद पता नही है कि आज के समय में भगवान मिल सकते है लेकिन सरकारी नौकरी मिलना कितना मुश्किल है। उसकी छत हर बरसात में टपकती ही रहती हैऔर जिसका पक्का बनना शायद एक सपना ही बन कर रह गया है। रामलाल जमींदारों के यहॉ खेती-बाड़ी करके परिवार का भरण पोषण कर रहा है। खुद रुखी सूखी रोटी खाकर गुजर बसर कर लेता है लेकिन हर महीनें रुपया बचाकर दिल्ली अपनें लड़के के पास भेजता है जिससे उसकी पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके। उसका लड़का दिल्ली में रहकर सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। दिल्ली में रहनें- खाने और पढ़ाई का खर्चा और हर माह बेटे का परीक्षा देनें जानें के लिए यात्रा खर्चानौकरियों के लिए फार्म भरनें का आदि का खर्चा वास्तव में रामलाल के लिए एक बड़ी चुनौती है। गॉव में बिटिया की भी पढ़ाई चल रही है जो कि प्राईवेट बी.ए. कर रही है।

हमेशा की तरह इस बार भी परीक्षा के परिणाम के इन्तजार में रामलाल नें बेटे को फोन लगाया और पूछा-  बेटा कैसे हो..... घर कब आओगे....

पिता जी अभी तो घर आना मुश्किल हैअगले महीनें फिर परीक्षा के लिए जयपुर जाना है। उसी की तैयारी में लगा रहता हूं और पापा घर पर सब लोग कैसे है.... घर का खर्चा ठीक से चल रहा है नाबेटे नें रामलाल से पूछा..

हा बेटा सब ठीक है तू चिन्ता न कर। अच्छे से मन लगाकर पढ़ औऱ जल्दी से सरकारी बाबू बन जा। और किसी चीज की कोई कमी हो तो बता देना पड़ोस का रामू दुकान में माल भरनें के सिलसिले में हर माह दिल्ली जाता रहता है। उससे भिजवा दूगां।

जी पापा। पापा मैं यहां बच्चों को पढानें लगू तो चार पैसा आनें लगेगे। पैसे कुछ काम आ जायेग, आपको भी खर्चे में कुछ राहत मिलेगी।

अरे नही बेटातुम खुद अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। समय का सदुपयोग केवल अपनी ही पढ़ाई में करो। हम सब तुम्हारी सरकारी नौकरी के लगनें के इन्तजार में पलके बिछायें बैठे है।

तेरी नौकरी लग जाये तो घर पक्का बनवा ले और अब छुटकी भी विवाह योग्य हो गयी है उसके भी हाथ पीले कर दे।

हा पापामैं पूरी कोशिश कर रहा हूं कि जल्द से जल्द नौकरी पा लूं।

और हॉ बेटा तू पिछले महीनें पेपर देनें गया था, उसका रिजल्ट का क्या हुआ कब आयेगा उसका रिजल्ट ......

अरे पापा वह भर्ती तो निरस्त हो गयी है।

हलो हलो..... रामलाल का फोन कट गया .....

तभी दरवाजे पर किसी नें दस्तक दी। रामलाल रामलाल.....

जी बताईयेअरे रामलाल नेता जी आये है वोट मांगनें। नेता जी को इस बार जरूर जिताना है।

अगर नेता जी जीत गये तो तुम्हारे दिन दशा दोनो बदल जायेगे।

रामलाल नें नेता जी को प्रणाम किया और रोते हुयें कहनें लगा कि बेटे को नौकर दिलवा दो..... हर चुनाव में वादे किये जाते है उन्हे कभी पूरे भी कर दो। बेटा सरकारी नौकरी के इन्तजार में ओवर एज हुआ जा रहा है।  

नेता जी हर बार की तरह इस बार भी हॉ कह कर अपनें काफिले के साथ आगे बढ़ गये। रामलाल नें अपनें ऊपर टपकते छप्पर की ओर देखा और फिर अपनी छुटकी की ओर.... शायद इस बार भी उसे इन्तजार है घर की छत के पक्के होने का और बिटियां के हाथ पीले होने का।

 

लेखक

गौरव सक्सेना


उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र देशधर्म नें अपनें 06 फरवरी 2022 के अंंक में प्रकाशित किया है। 

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Gaurav Saxena

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