मॉ के भण्डारे कभी खाली नही होते

 

मॉ के भण्डारे कभी खाली नही होते

 

मॉ के भण्डारे कभी खाली नही होते

 

आज मन्दिर में सुबह से ही भक्तों की चहलकदमी शुरू हो चुकी है। सभी भक्त अपनें- अपनें ढ़ग से जगतजननी मॉ जगदम्बा की आराधना के लिए पंक्ति में खड़ें होकर अपनी बारी का इन्तजार कर रहे है। मन्दिर के विशाल प्रांगण में एक किनारें कुछ कन्याओं को भोजन कराया जा रहा है। और दान-दक्षिणा भी दी जा रही है। सारे दिन कन्याओं के लिए खान-पान और दान- दक्षिणा का कार्यक्रम चल रहा है। देर शाम खुशी नें मन्दिर से सटी अपनी झोपड़ी में आकर के अपनी मॉ से कहा- मॉ देखो मैं आ गयी और मॉ आज तो बिना मांगे ही मुझे लोगो नें पैसे दियें और भरपेट भोजन भी करवाया है। और देखो मॉ मुझे कुछ सामान भी मिला है। बिन्दियां, सिन्दूर, चूड़ी और यह रंग- बिरंगी चुनरी। यह चुनरी मॉ देखो कितनी सुन्दर लग रही है। मॉ यह बिन्दी लगायों यह चूड़ी पहनों...... हॉ जरूर मॉ नें खुशी को गोद में बिठाते हुयें कहा।

 

मॉ आज क्या कोई खास दिन था। जो लोगो नें मुझे इतना कुछ दिया और वह भी बिना मांगे।

हॉ बेटी आज से नवरात्रि का पावन पर्व प्रारम्भ हुआ है। क्या होता है इस पर्व में.... मॉ जल्द बताओँ ?  बेटी नें उत्सुकतुपूर्वक पूछा...

 

बेटी, इस पर्व में छोटी बच्चियों को मॉ का स्वरूप माना जाता है, जिन्हे भोजन करानें और दान देनें से भक्तों को मॉ की कृपा प्राप्त होती है। यह नौ दिवस तक चलनें वाला विशेष पर्व होता है जो वर्ष में दो बार चैत और अश्विन माह में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। और सभी भक्त अपनी मनोंकामना की पूर्ति के लिए जगतजननी मॉ की पूजा- अर्चना करते है। 

 

मॉ, अब तुम्हे मन्दिर में भिक्षा मांगनें की कोई आवश्यकता नही है। तुम बीमार हो, यहीं झोपड़ी में आराम से रहना । मुझे जो खानें का सामान मिलेगा उसे मै आपके लिए भी लाया करूंगी। इतना सुनकर मॉ की ऑखों में अश्रु की धारा अविरल प्रवाहित होनें लगी। बेटी नें मॉ के अश्रु पोछते हुयें पूछा तो क्या मॉ लोग हमें इसी तरह से हमें खाना देते रहेगे। अरे नही बेटी यह दिवस तो सिर्फ नौ दिन ही चलता है। लोग तो केवल इन्ही दिनों में खाना खिलायेगे। इतना सुनकर छोटी बच्ची खुशी की खुशी का पता ही नही चला कि वह कहॉ उड़ गयी। 

 

लेकिन बेटी तू निराश न हो। जिस जगदम्बा मॉ नें हम सभी को जीवन दिया है वह किसी को भूखा नही सोनें देगी। बस सच्चे मन से माता रानी का ध्यान करती रहना और उनकी सेवा करती रहना...... वह सदैव हमारे साथ रहेगी....... और हमारे लिए हर दिन खानें की व्यवस्था किसी न किसी रूप में करती रहेगी। मॉ बहुत दयालु है उसके भण्डारे अन्न से कभी खाली नही होते है। कोई खाना खिलायें या न खिलायें मॉ हम सभी को जरूर खाना खिलायेंगी। 

 

दोनों मॉ बेटी एक दूसरे से लिपट गयें और पता ही नही चला जगतजननी मॉ को याद करते- करते कब सो गयें........

 

लेखक

गौरव सक्सेना

 

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र नें अपनें 10 अक्टूबर 2021 के अंक में प्रकाशित किया है। 

मॉ के भण्डारे कभी खाली नही होते

 

Gaurav Saxena

Author & Editor

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