हिन्दी दिवस 14 सितम्बर
हिन्दी है तो अपनापन है, मॉ जैसा प्यारा दामन है।
हिन्दी है तो अपनापन है, मॉ जैसा प्यारा दामन है।
हिन्दी है तो भाषा है बोली है, जन- जन की अभिलाषा है।।
हिन्दी है तो दिनकर है, प्रेमचन्द्र की मानसरोवर है।
महादेवी की दुख की बदली है, तो निराला की कर्मभूमि है।।
बच्चन की मधुशाला है, जयशंकर की कामायनी है।
हिन्दी है तो चौबारे के लोक गीत है, चौपालों की मीठी यादे है।।
चिठ्ठी में छिपकर आती यादे है, कवि सम्मेलन की सर्द राते है।
हिन्दी है तो अपनापन है, मॉ जैसा प्यारा दामन है।।
लेखक
गौरव सक्सेना
उक्त कविता व हिन्दी दिवस पर मेरे विचारों को दैनिक समाचार पत्र "देश धर्म" नें अपनें 12 सितम्बर 2021 के अंक में प्रकाशित किया है।
मेरा काव्य पाठ का वीडियों देखनें के लिए निम्न लिंक पर जायें।
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