अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस - 21 जून
आज जिन्दगी की भागदौड़ बहुत बढ़ चुकी है, जिसके कारण हमारे मन मस्तिष्क और शरीर पर इसके दुष्प्रभाव भी पड़ते है। नजीजन मनुष्य बीमार पड़नें लगता है। मनुष्य का निरोगी बनें रहकर एक अच्छा जीवनयापन करना बहुत जरूरी होता है। क्योकि स्वस्थ्य मस्तिष्क में ही स्वस्थ्य आत्मा का निवास होता है। स्वस्थ्य रहनें के उद्देश्य से ही आज लोग अपनें खान-पान और रहन- सहन और दिनचर्या में बदलाव कर रहे है। इसी बदलाव में अत्यन्त आवश्यक है कि मनुष्य योग की महत्ता को समझे और इसे अपनाये तथा अन्य लोगो को भी इसके लिए प्रेरित करें जिससे सभी लोग योग करके निरोगी तन – मन प्राप्त कर सकें।
वर्ष के 365 दिवस में 21 जून सबसे लम्बा दिन होता है, तथा योग के निरन्तर अभ्यास से मनुष्य को एक लम्बा जीवन प्राप्त होता है, इसलिए इस दिन को योग दिवस के रूप में मनानें का फैसला लिया गया था। योग कोई नया विषय नही है इसका वर्णन हमारी पौराणिक कथाओं और ग्रथों में देखनें को मिलता है। स्वयं हमारे ऋषि मुनि निरन्तर योग का अभ्यास करते थें जिससे उनकी लम्बी आयु होती थी। स्वयं विवेकानन्द जी नें कहा था कि योग आयु की वृद्धि करता है। योग से मनुष्य का तन – मन दोनो को बल मिलता है तथा वह आध्यमिक रूप से भी बलशाली बनता है और बुरे आचरण से बचा रहता है।
नि:सन्देह योग नें कोरोना महामारी काल में भी मनुष्य को एक आत्मबल दिया है जिसके कारण संक्रमण काल में योग की उपयोगिता बढ़ी है। जहॉ लोगो ने अपनी दिनचर्या में योग को शामिल किया तो पाया गया कि लोगो को इसका काफी लाभ मिला ।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का एक यह भी उद्देश्य है कि लोगो के बीच योग को व्यवहारिक बनाया जायें जिससे सभी लोग योग को अपनाकर निरोगी रह सकें।
आज इस प्रदूषण और मिलावट के दौर में स्वयं को स्वस्थ्य रखनें के लिए योग को अपनानें की महती आवश्यकता है। हम सभी को चाहियें कि हम योग को अपनायें तथा इसको अपनानें के लिए अन्य लोगो को भी प्रेरित करें।
लेखक
गौरव सक्सेना
उक्त लेख को दैनिक जागरण समाचार पत्र नें दिनांक 21 जून 2021 को अपनें अंक में प्रकाशित भी किया है।
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