पैसा सिर्फ आपके इलाज के लिए
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई पर जन सन्देश
अरे मैम साहब, आप राहुल बाबा को समझाती क्यो नही कि वह तंबाकू न खाया करें, देखियें कूड़ादान पूरा तंबाकू की पीक से भरा पड़ा है। देख शान्ति मैं तो अपनें पति राहुल को शादी के बाद से ही तंबाकू छोड़नें की बात कह रही हूं, और न जानें कितने तरीके आजमा चुकी हूं। लेकिन मेरे कहने का उन पर कोई प्रभाव नही पड़ा। उन्हे अब इसकी लत लग चुकी है। मैं तो अब तंग आ चुकी हूं राहुल बाबा की तंबाकू की लत से..... अब मैने उनसे कहना ही छोड़ दिया है। इतना कह कर शिखा दुखी होकर अपने बैडरूम में जाकर लेट जाती है। तभी उसकी 6 साल की बच्ची आकर के अपनी मॉ से लिपट कर उसके रोने का कारण पूछंती है। शिखा बच्ची को बिना कुछ बताये उसे ऑनलाइन क्लास मोबाइल पर ज्वाइन करनें को कहती है।
शिखा दुखी होकर कब सो गयी और कामवाली कब काम खत्म कर के घर चली गयी पता ही नही चला। उसकी नींद तो शाम के 4 बजे डोर बेल के बजने पर खुलती है। दरबाजा खोलकर शिखा नें अपने पति राहुल बाबा से ऑफिस से जल्द घर आने का कारण पूछा तो राहुल ने जबाब दिया कि उसकी तबियत ठीक नही है। क्या हुआ आपको.... सब ठीक तो है ना। अरे कुछ नही खांसी ज्यादा हो गयी थी। चलो मैं डाक्टर को दिखवा देती हूं। अरे नही- नही, मैं ठीक हो जाऊंगा। मेरे पास दवाई रखी है, वह ही ले लूंगा। यह कह कर राहुल अपनें कमरे मे जाकर दवाई लेता है। और आराम करने लगता है। तभी उसकी बेटी रूचि उसके साथ खेलने को कहती है। वह उदास मन से मना कर देता है। फिर उसकी बेटी पूछने लगती है कि पापा यह जीवन बीमा क्या होता है। अरे बेटा तुम यह सब क्यो पूछ रही हो ?
कुछ नही पापा बताओ न ... बेटी ने जिद्द की तो राहुल ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो बीमा की धनराशि उसके परिवार को मिल जाती है। इससे उस परिवार पर पैसा का संकट नही पड़ता है। बेटी के द्वारा इस तरह के पूछे गये प्रश्न से राहुल परेशान था इसलिए उसने इस बात को जल्द ही समाप्त करके रूचि को खेल में लगाने की कोशिश की।
रात्रि में राहुल नें अपनी पत्नी शिखा से बेटी रूचि के बदलते स्वभाव और उम्र के हिसाब से बेमेल खाते उसके द्वारा पूछे जानें वाले प्रश्न की चर्चा की तो शिखा ने भी रूचि के व्यवहार में अचानक से आये बदलाव के बारे मे बताया कि पता नही दिनो- दिन रूचि को क्या होता जा रहा है वह अच्छे से नही रहती है। और न ही ज्यादा बात करती है। राहुल यह कहकर सो गया कि वह रूचि के बदलते स्वभाव के बारे में पता करे। सुबह नास्ते की टेबल पर भी रूचि नही आयी तो शिखा नें फिर से रुचि को नास्ते के लिए बोला। तो रूचि उदास मन से टेबल के पास आकर नास्ता करने लगी। माता – पिता दोनो ही रुचि के बदलते स्वभाव को लेकर चिन्तित थें। माहौल को खुशनुमा बनानें के लिए शिखा नें कहा कि हम सभी लोग लॉकडाउन के बाद शिमला घूमनें चलेगे। चलोगी न रूचि, तो रूचि नें सिर हिला कर अपनी स्वीकृति दे दी।
और हम सब लोग नये – नये कपड़े खरीदेगे। रुचि तुम्हारी गुल्लक में कितनें रूपये है मुझे दे देना मैं उसमें अतिरिक्त रूपये जोड़कर तुम्हारे लिए अच्छे से कपड़े खरीद दूंगी।
तो रूचि बोली नही मैं अपनी गुल्लक के पैसे नही दूंगी। तो राहुल नें रूचि से पैसे न देने का कारण पूछा। तो रूचि रोने लगी और बोली पापा आप इतनी सारी तंबाकू जो खाते है। तंबाकू खानें से कैसर हो जाता है तो आपके इलाज के लिए इतना सारा पैसा कहॉ से आयेगा। इसलिए मैं पैसे जोड़ रही हूं जिसे मैं खर्च नही कर सकती। मेरा पैसा सिर्फ आपके इलाज के लिए है। रूचि के इतना कहना ही था कि राहुल फफक कर रोने लगा और अपनी बेटी को गले से लगा लिया। शिखा भी जोर- जोर से रोने लगी। और फिर रूचि रोती हुयी राहुल से बोली कि पापा आप अपना जीवन बीमा जरूर करा लेना................ बस कर बेटी, राहुल ने रूचि को चुप कराते हुये कहा।
राहुल नें बीच में ही बात काटते हुयें अपनी जेब से तंबाकू के पैकेट निकाल कर कूड़ेदान में फेक दियें। और प्रण लिया कि आज से कभी भी वह तंबाकू का सेवन नही करेगा।
यह सुनकर रूचि उछलकर अपनें कमरे में जाती है और वापस आकर अपनी गुल्लक खुशी- खुशी फोड़ देती है। और कहती है मॉ मेरे लिए एक अच्छी सी परी वाली फ्रांक भी खरीद लाना.................
माता –पिता दोनों गुल्लक के बिखरे सिक्कों को इकठ्ठा करनें लगते है और रूचि यह देखकर खिलखिला कर हसनें लगी।
लेखक
गौरव सक्सेना
उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र नें दिनांक 30 मई 2021 को प्रकाशित किया है।
0 Comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in comment Box