गॉधी और शास्त्री जी के सिद्धान्तों का अनुकरण

 

गॉधी और शास्त्री जी के सिद्धान्तों का अनुकरण

 

 गॉधी और शास्त्री जी के सिद्धान्तों का अनुकरण

                आज देश अहिंसा के पुजारी महात्मा गॉधी और दूसरे सादगी और ईमानदारी के जननायक लाल बहादुर शास्त्री जी दोनों की जयन्ती मना रहा है। आज दोनों महापुरूषों के सिद्धान्तो को आत्मसार करनें की महती आवश्यकता है। बापू का स्वच्छता और सेवा भाव का सन्देश आज के मौजूदा हालात में पुन: लोगो के जहन में उनकी याद दिलाता है। तथा कहीं न कहीं ऐसे वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के प्रकोप से बचनें हेतु उनकी स्वच्छता की सीख को बल मिलता है। तथा कोरोना संक्रमण के बचाव कार्य में लगे प्रत्येक जन के सेवा भाव में गॉधी जी का आज भी दर्शन होता है कि वे कैसे बिना किसी भय और भेदभाव के रोगियों की सेवा किया करते थें। 


               वहीं लाल बहादुर शास्त्री जी तो सादगी, कर्मठ सेवाभाव, ईमानदारी औऱ आपसी भाईचारे की उपमा के रूप में आज भी दिलों में राज कर रहे है। आपनें अपनें प्रधानमंत्रित्व काल में जिस तरह से देश प्रेम और देश भक्ति की भावना का संचार किया वह अनुकरणीय है, आपनें उस दौर में देश को कैसे खड़ा रखा जब देश अनेक विषम चुनौतियों का सामना कर रहा था। आपनें जय जवान, जय किसान का नारा देकर देश में एक नयी ऊर्जा का संचार किया, तथा इसका यह परिणाम हुआ कि उस समय भारत कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सका तथा स्वाभिमान के साथ अनाज के पनपते संकट से उबर सका। तथा विदेशी आयातित गेहूं पर भारत की निर्भरता समाप्त हो गयी। इसी दौर में पाकिस्तान नें भारत पर आक्रमण कर दिया था, तथा आपनें बड़ी सूझ-बूझ के साथ कुशल रणनीति का परिचय देते हुये भारतीय सेना का मनोबल बढ़ाया तथा भारतीय सेना नें अदम्य साहस के साथ पाकिस्तानी सेना का सामना किया। तथा पाकिस्तान को इस युद्ध में मुहं की खानी पड़ी थी।


              आज भी लोग सादगी का जिक्र करते है तो लोग शास्त्री जी का ही उदाहरण देते है। आपकी सादगी के कई वाक्या आज भी लोगो की जुबान पर है। आपकी सादगी को एक उदाहरण से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री पद पर रहते हुये भी आप के पास अपनी कार खरीदनें तक के लिए धन नही था, तथा सरकारी कार का प्रयोग आप अति महत्वपूर्ण शासकीय कार्यो के लिए ही करते थें। आपको अपनी व्यक्तिगत कार खरीदनें के लिए बैंक से महज 5000 रू0 का कर्ज लेना पड़ा था, जो कि आपकी मृत्यु के बाद आपकी धर्मपत्नी जी के द्वारा चुकाया गया था। 


आज समय है कि हम सभी मिलकर एक स्वर के साथ आप दोनों महापुरूषों के आदर्शों को आत्मसात करें तथा कर्मठ और ईमानदारी के साथ कार्य करके आपके सपनों के भारत का सृजन कर सकें।



लेखक एवं समाजसेवी
गौरव सक्सेना


Gaurav Saxena

Author & Editor

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