एक हथिनी का जल सत्याग्रह



एक हथिनी का जल सत्याग्रह


एक हथिनी का जल सत्याग्रह

पशुऔं के प्रति होती आई मानवीय क्रूरता आज कोई नयी बात नही है। अभी हाल ही के मामले पर प्रकाश डाले तो केरल में एक हथिनी को जिस क्रूरता के साथ मारा गया है उससे एक बार फिर मानवता शर्मसार हुयी है और केरल की इस घटना की देश विदेशों में भी आलोचना हो रही है। नि:सन्देह इस घटना नें पशुऔं के प्रति मानवीय व्यवहार पर सवालियां निशान लगायें है। आज केरल में ही नही बल्कि अन्य राज्यो से भी पशु क्रूरता की घटनाये आती रहती है, यहां एक और वाक्या का जिक्र करना भी अति जरुरी हो जाता है कि जिसमें पीलीभीत में एक व्यक्ति मरे हुये कुत्ते के शरीर को अपनी बाइक से घसीटता हुआ ले जा रहा है, उस व्यक्ति के इस कृत्य को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देखा भी जा सकता है। आखिर कब तक ऐसी घटनायें होती रहेगी। 



आज सम्पूर्ण मानव जाति को पशुऔ के प्रति चितंन और मनन करनें की आवश्यकता है। मानव जाति को सदैव यह स्मरण रखना चाहिये कि पशु पूर्वकाल से ही उनके सच्चे साथी रहे है। और प्राकृतिक सन्तुलन बनाये रखनें में प्रत्येक प्राणी की अपनी- अपनी एक अलग पहचान एवं उपयोगिता रही है। जैव विविधता के लिए हाथियों का वनों में जीवित रहना अति आवश्यक है। जरा सोचिये कि उस व्यक्ति की क्या संकीर्ण मानसिकता रही होगी, जिसनें केरल के मल्लपुरम में भोजन की तलाश में आयी हथिनी को अनानास में बारूद भरकर खिला दिया। यह हथिनी का मुंह बारूद से पूरी तरह घायल हो गया जिससे कि उसके मुख पर मख्खियां लगने लगी और वह इस बारूदी अग्नि को शांत करनें के लिए पास ही की नदी में तीन दिन तक खड़ी रही। शायद जल की शीतलता में अपना जीवन बचाना चांह रही होगी। तीन दिन तक बिना कुछ खाये पिये जलमग्न होकर जीवन की लड़ाई में आखिर वह हार ही गयी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि वह गर्भवती भी थी। मारनें वाले नें एक नही दो प्राणीयों की हत्या की है। 



इस पूरे घटनाक्रम को सूक्षम दृष्टि से देखे तो हथिनी की सहनशीलता का बेहतरीन दृश्य दिखायी पड़ता है जहॉ अक्सर पशु घायल हो जानें पर अक्रामक हो जाते है तो वहीं बेचारी हथिनी बुरी तरह से घायल होनें के बाबजूद भी अक्रामक नही हुयी और तीन दिन तक शांत जल में खड़ी रही। शायद वह मानव जाति से पशुऔं के प्रति संवेदना की आशा रख रही होगी और न्याय भी मांग रही होगी। उसकी इस लाचारी भरे जलमग्न होनें की स्थिती को जल सत्याग्रह शब्द देना ही मेरी लेखनी का सही विषय होगा। 


मेरी सरकार से प्रार्थना है कि इस तरह की घटनाऔं पर पूर्णरूप से अकुंश लगानें के लिए प्रभावी कदम उठाये। तथा मानव जाति को समझना होगा कि यह बेजुबान पशु हमारे मित्र है अपनें मनोरंजन और किसी प्रकार के लाभ के लिए इनका प्रयोग बन्द करियें। इन्सान को इनकी हत्या करनें का अधिकार किसी नें नही दिया है। इन्हे प्यार दीजियें, इस वसुन्धरा पर इन पशुऔं का भी पूर्ण अधिकार है। 


उक्त लेख को देश के एक नामी व लोकप्रिय समाचार पत्र जनसत्ता नें "क्रूरता की पराकाष्ठा" शीर्षक से दिनांक 08 जून 2020 अपनें अंक में को प्रकाशित किया है।




लेखक
गौरव सक्सेना



Gaurav Saxena

Author & Editor

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