व्यंग्य लेख-- नोटा का महत्व





नेता जी की जीत के जश्न ने मेरे सभी लेखक मित्रों को सुर्खियॉ बटोरने के कार्य में व्यस्त कर रक्खा है, बेचारे बड़ी मेहनत करके अपनी लेखनी के बलबूते ही तो राजनीतिज्ञ लेखक का तमगा हथिया पाये है। शायद वे सभी इस लिए भी खुश होगे कि उन्हे उनके वोट का फल मिल गया है। लेकिन मेरे लिए इस गर्मियों में पहाड़ जैसे बड़े दिन काटने का व्यवसाय ही नजर नही आ रहा है, मै ठहरा स्वाभिमानी सच्चा लेखक, मैं तो अपनी लेखनी मे सच्चाई ही लिखता रहा हूं। इसी के चलते कई दफा साहित्यिक सम्मान भी मेरे खाते में आ पाये है।
लेकिन मैं अब करूं तो करूं क्या, चुनाव का समापन क्या हुआ मानो मेरी लेखनी पर ही विराम लगता नजर आ रहा है। अपनी वैचारिक मनोवृति के कारण मैने अपने वोट का कोटा भी नोटा दबाकर ही तो पूर्ण किया था। सोच रहा था कि किसी न किसी मीडिया साक्षात्कार में नोटा पर ही बोलने को मिल जायेगा तो रातो रात प्रसिद्धी की सीढ़ी लगा अच्छा खासा नाम कमा लूंगा, पर इस बार तो नोटा पर किसी का भी लोटा लुढ़क ही नही रहा है। क्या नोटा इतना खोटा हो चला है कि हर गली मुहल्ले में दुत्कारा जा रहा है। नही नही, मै नोटा को इस तरह इस तरह अकेला नही छोड़ सकता। आखिर नोटा मेरी तरह अनुभवी, धैर्यवान एवं वयोवृद्ध है, तभी तो धैर्य के साथ ईवीएम में सभी नेताओं को बैठाने के बाद बची खुची जगह में विराजमान है। व्योवृद्ध होने के कारण चुनाव की कई जिम्मेदारियां भी नोटा के कोटा में आयी है। ईवीएम की तकनीकी समस्याये, ईवीएम मशीन का मेन्टीनेन्स बनाये रखने जैसी तमाम जिम्मेदारियां नोटा हर चुनाव में बखूबी निभा रहा है। यदि यदा - कदा ईवीएम मशीन के सभी बटन थक जाये तो वोटर को खाली हाथ घर नही लौटना पड़ेगा, वह शान से नोटा दबाकर अपना लोटा उठा खेत पर जा सकता है। लेकिन मशीन थक न पाये इसलिए संगीत की व्यवस्था नोटा ने ही पूर्ण कर रखी है जो बार बार पी – पी की तान छेड़कर वोटरो और मशीन में विराजमान अन्य प्रतिद्धन्दिंयों की थकान को मिटाकर मनोरंजन का कोटा पूरा कर रहा है।
इतनी सारी जिम्मेदारियों का निर्वाहन तो मुझ जैसा कोई लेखक ही कर सकता है। जिसका ह्दय विराट हो तथा जिसमें लीडरशिप के गुण हो। सब जोड़गाठ करके मैं यही निष्कर्ष निकाल पाया हूं कि इस गर्मियों मे मेरे लिए सच्चा साथी नोटा ही होगा, भले ही दुनियां कुछ भी कहे मै नोटा की महत्ता और उपयोगिता का बखान अपनी लेखनी में करता ही रहूंगा।
लेखक – गौरव सक्सेना

Gaurav Saxena

Author & Editor

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