स्मार्टफोन के दुष्परिणाम


स्मार्टफोन ने आज जहॉ सूचना प्रौधोगिकी और संचार के क्षैत्र में बेतरतीब तरक्की की है तो वही इसके दूरगामी घातक परिणाम उभर कर सामने आ रहे है। किसी भी सूचना को पलक धपकते मोबाइल पर प्राप्त कर पाना नि: सन्देह पहले की अपेक्षा बहुत आसान हो पाया है। लेकिन इसका अत्यधिक प्रयोग जाने अनजाने लोगो की जीवन शैली में कई दुष्परिणामों की सौगात भी दे रहा है।
आज छोटे छोटे बच्चे दिनभर मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर कार्टून देखते है जिससे उनका शारीरिक एवं बौद्धिक विकाश प्रभावित होता है और छोटी उम्र में ही आंखो पर चश्मा लग जाता है तथा मोटापे जैसी अनेक बीमारियां घर कर जाती है। जहॉ पहले बच्चे मैदानों में खेलते थे तो बच्चों के अन्दर आपसी सामंजस, सौहार्द, भाईचारे की भावना बाल्यकाल से ही पनपने लगती थी और बच्चे स्वस्थ भी रहते थे, परन्तु आज इसके विपरीत भयावह परिणाम सामने आ रहे है। वहीं इसके बेसुमार प्रयोग की लत युवाओं एवं बुजुर्गों में भी खूब फल फूल रही है। दिन-रात मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर कार्य करने की बजह से नेत्र ज्योति तो प्रभावित हो ही रही है वहीं लोगो की स्मरण शक्ति और बौद्धिक क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखा जा सकता है। जहॉ पहले लोग किसी भी विषय की जानकारी प्राप्त करने के लिए परिश्रम किया करते थे, पुस्तके खोजते थे, विद्वानजनों, अनुभवी लोगो के पास जाकर जानकारियॉ इकट्ठा किया करते थे तो लोगो के अन्दर ज्ञान प्राप्ति के लिए लालसा रहती थी आपस में लोगो के प्रति मेलजोल की भावना रहती थी तो वहीं मोबाइल फोन धीमे धीमें हम सभी को एकाकी जीवन की मनोवृति की और धकेलता जा रहा है।
मोबाइल पर पूर्णतया निर्भर होने तथा छोटी छोटी जानकारी खोजने के चलते लोगो की पढ़ने और लिखने की प्राचीन परम्परा खतरे में पड़ती जा रही है। प्राय: आज लोग छोटी छोटी वर्तनी, शब्द, गणित के सवालों के हल को भी इन्टरनेट पर खोजते है। इन्टरनेट पर पसरे ज्ञान का अपना एक अलग दायरा है जो कि अनुभव से अर्जित ज्ञान से बहुत छोटा है।
हम सभी को चाहिये कि हम मोबाइल के प्रयोग के लिए आवश्यक रुप से अपना समय प्रबन्धन करे तथा किसी भी प्रकार की जानकारी इकठ्ठा करने के लिए मोबाइल पर निरर्भता कम करें तथा इसके दुष्परिणामों से सभी को अवगत करा जन जागरुकता फैलाये।
लेखक – गौरव सक्सेना

Gaurav Saxena

Author & Editor

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