जैसा कि विदित ही है कि भारत की भुखमरी स्थिति सुधरनें का नाम नही ले रही है।
कृषि प्रधान देश होनें के बावजूद आज भी देश में बड़ी संख्या में लोगो को बमुशिकल
केवल एक वक्त का भोजन ही नसीब हो पाता है। भुखमरी उन्मूलन की दिशा में सरकारी
कार्य तो प्रशंसनीय है परन्तु उनके पूर्णरूपेण क्रियान्वन के लिए आम जनमानस को आगे
आना होगा तभी हम इस विकराल समस्या से भारत को मुक्त कर सकते है।
आज सामाजिक उत्सवों, होटल इत्यादि मे लोग अपनी भूख का आकलन न कर अधिक से अधिक
भोजन को परोस लेते है और फिर यही भोजन उनकी उदर भूख को शांत कर शेष थाली में बच
जाता है जिसे लोग कूड़े में फेक देते है। इस तरह से खाद्ध पदार्थो की बेसुमार
बर्बादी हम दिन प्रतिदिन करते आ रहे है।
यदि हम सभी यह प्रण ले कि अपनी जरूरत मुताबिक भोजन को ही थाली में ले, जिससे
कि अन्न की बर्बादी को रोका जा सकें। और कोशिश करे कि यदि उत्सवों में भोज समाप्ती
के बाद भोजन शेष रह जाये तो उसे फेकने की अपेक्षा जरूरतमंदो में बांट कर किसी के
पेट की भूख मिटायें। जिससे भोजन की मर्यादा भी बनी रहेगी और जरूरतमंदो के पेट भी
भरते रहेगे।
इस तरह से यह छोटे प्रयास नि: सन्देह भुखमरी जैसी समस्या के उन्मूलन में काफी
प्रभावकारी साबित सिद्ध होगे।
इसी लेख को दैनिक जागरण कानपुर संस्करण ने दिनांक 29 जुलाई 2019 को प्रकाशित भी किया, लेख संलग्न है।
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