संघर्ष सृजित इस जीवन पथ पर
संघर्ष सृजित इस जीवन पथ पर
, पग –पग तुझकों चलना होगा।
आदर्श बना कर जीवन अपना,
बेटी तुझकों अब बढ़ना होगा।।
धूमिल होती नयन ज्योति में,
बेटी तुझकों पलना होगा।
घर आंगन महके किलकारी से,
वह अम्बर तुझकों ढ़कना होगा।।
शिक्षित होकर बेटी तुझकों, मर्यादाओं
में बहना होगा।
नाविक बन कर किशोरी तुझकों,
दो परिवारों को खैना होगा।।
ममतामयी करुणा की अवरल धारा
में, नित तुझकों संग संग बहना होगा।
संघर्ष सृजित इस
जीवन पथ पर , पग –पग तुझकों चलना होगा।
जीवन के पथरीले पथ पर बेटी,
गम भी तुझकों सहने होगे।
हस – हस कर मेहनत से उन
सबको, तुझकों पीना होगा।।
हया बड़ों की करते करते,
अलख से प्रीति जगानी होगी।
अवरल ज्ञान गौरव से
सन्तानों में, राष्ट्रभक्ति बचानी होगी।।
हे मातृ शक्ति, हे रण
चण्डी, अपना वर्चस्व बचा कर रखना होगा।
कोख में मरती बालाऔं का
जीवन देकर, तुझकों संसार बचाना होगा।
कवि
गौरव सक्सेना
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