नोट की शान - व्यंग्य लेख

 

                           
नोट की शान

                            नोट की शान


ऐ छुट्टन साइड दोजहॉ देखो वहॉ खड़े हो जाते हो, 2000 के नोट ने इठलाते हुयें 500 के नोट से कहा। तो तुरन्त 500 के नोट ने पलटकर जबाब दिया – छोटे समझने की भूल भी करनामैं देखनें में ही छोटा लगता हूं लेकिन घाव बहुत गम्भीर करता हूं। मेरी शक्ति के आगे बड़े से बड़ा  व्यक्ति भी नतमस्तक है। पूरे बाजार में मेरा ही डंका बजता है तुम्हे तो कोई भूल से भी नही लेना चांहता है। तुम बड़े हुये तो क्या हुआ बड़ा तो पेड़ खजूर भी होता हैजो किसी भी काम का नही होता है।
बस-बस छुट्टन ज्यादा ज्ञान मत बांटो। जिस तरह से तुम छोटे हो वैसे ही तुम्हारे विचार भी छोटे है। तुम कभी बड़ा सोच भी नही सकते हो। बड़े आये मेरी बराबरी करने वालेतुम तो मेरे पैरो की धूल के बराबर भी नही हो।


तुम बाजार और मेला-मदार में भले ही छोटी-मोटी पहचान रखते हो लेकिन बड़े लेन-देन और व्यापार में तुम्हे कोई नही पूंछता। तुम्हे पता भी है कि मैनें लोगो के काम को कितना आसान कर दिया है। बड़ी से बड़ी रकम मेरे चन्द नोटो में समा जाती हैआराम से कोई भी इधर-उधर ला-ले जा सकता है। कितने लोगो के अटके पड़े कामों को मेरे चन्द नोटो नें मुठ्ठी में दबकर चन्द मिनटो में पूर्ण करवाया है। मैने लेन-देन की परिभाषा ही बदल दी हैअब कोई भी आसानी से डेस्क के नीचे से मुझे बाबू लोगो से मिलवा सकता है। मैं ही तो हूं जिसनें बाबू लोगो की तिजोरियो की शान बढ़ाई हैअब तिजोरियां मेरे रूप रंग की खुशबू से सराबोर रहती है। अब इत्र की जगह बाबू लोग मेरी सुगन्ध सूंघते है। मेरे रूप रंग की दीवानगी का अन्दाजा तो इस बात से ही लगाया जा सकता है कि बाबू लोग मुझे अपने बेड के नीचे बिछाकर उसके ऊपर अपना भारी भरकम शरीर रखकर सारी रात हसीन स्वप्न देखते है।


अब तुम ही बताओं क्या मुझसे पूर्व यह सबकुछ सम्भव था। मेरी बजह से ही बाबू लोग आज चैन की वंशी बजा पा रहे है। तुम्हारा जन्म भले ही मुझसे पहले हुआ हो लेकिन आयु में बड़ा होना आज कोई मायनें नही रखता है। जरूरी नही कि हर सफेद बाल वाला व्यक्ति ज्ञानी और अनुभवी हो। अब सब बाते केवल कहने मात्र की ही रह गयी है।
इतना मत इठलाओ लम्बू दादाजहॉ काम आवे सुई तो कहा करे तलवारि। वो समय याद करो जब तुम्हारे छोटे भाई 1000 रू0 के नोट को सरकार नें रातो-रात बन्द कर दिया थाफिर तुम्हारे बाबू लोग क्यो फड़फड़ाने लगे थें। तब बैंक की पूछ-ताछ का सामना क्यो नही कर पाये थे तुम्हारे बाबू लोग। समय बलवान होता है भविष्य किसी नें नही देखाइसलिए अपने बड़े होने पर इतना घमण्ड मत करो।


अरे- अरे जाने दोजाने दोमुझे तुम्हारे साथ रहनें में घुटन होने लगी है। बैंक क्लर्क के बक्से में पड़े 2000 के नोट नें यह कहकर छलांग लगाई और तभी अचानक बैंक में मेल आयी कि अब सरकार 2000 का नोट बन्द करनें जा रही हैजिसके लिए निर्धारित समय-सीमा भी तय की गयी है जिसमे लोग 2000 के नोट को बैंक में जमा कर सकते है।
यह खबर सुनते ही 2000 का नोट 500 रू0 के नोट के पास आकर फफक-फफककर रोने लगा और उधर बाबू लोग सर पकड़ कर बैठे थे। जिन्होनें नें अपनें बेड और तिजोरियों को 2000 के नोटो से भर रखा था। बेड और तिजौरियों में पड़े 2000 के नोटो की संख्या के आगे बैंक में जमा करने की यह निर्धारित समय सीमा तो कुछ भी नही है। अब बेचारे करे भी तो क्या करेइधर कुआं और उधर खाई।
 
लेखक
गौरव सक्सेना


उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र 'देशधर्म' नें अपने 21 मई 2023 के अंक में तथा दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्करण नें 22 मई 2023 को प्रकाशित किया है। 


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नोट की शान - व्यंग्य लेख

Gaurav Saxena

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