चाय की गर्माहट

चाय की गर्माहट

 

चाय की गर्माहट


दूध- पानी, मिठास के चन्द दानें और बागानों की पत्तियां उबल कर हमारे देश में गर्मागरम चाय का रूप ले लेती है, चाय के अतिरिक्त भी कई अन्य चीजें है जो धीमें- धीमें उबलती रहती है और एक दिन गर्मागरम विषय का रुप ले लेती है। लेकिन उन सभी में जो सर्वत्र सुलभ है वह केवल चाय ही है, चाय इतनी महत्वपूर्ण है कि बिना इसकी चुसकी लिए कोई भी बड़ा फैसला लिया ही नही जा सकता है, न जानें कितनें कुवांरों के सर पर पगड़ी का ताज चाय की चर्चा के बाद ही सजा है। हिन्दी फिल्मों नें भी चाय की महिमा का बखान करते हुयें कई हिट नगमें दिये है। शायद मेरी शादी का ख्याल दिल में आया है, इसीलिए मम्मी नें मेरी तुम्हे चाय पर बुलाया है। इस नगमें के जरियें भी प्रेमिका यही सन्देश देना चाहंती है कि अब उसके घर उसकी मॉ के साथ चाय पर उनकी शादी पक्की हो जायेगी। सरल भाषा में हम यह कह सकते है कि चाय किसी कार्य के पूर्ण होनें का भी घोतक है। चाय हर मौहल्लें के नुक्कड़ की शान है, रेलवे और बस स्टेशन पर वेटिंग एरिया की पहचान है। चाय है तो चर्चा है, वोटिंग का पर्चा है, उम्मीदवारों का खर्चा है।

चाय वह मीटिंग है जो बाहर से आयें एग्जामिनर को चुस्कियों में व्यस्त रख छात्रों के लिए चीटिंग का मौका देती है तो किसी प्रेमी युगलों के लिए चाय हर्ट बीटिंग है तो किसी कार्यालय के बाबू के लिए हीटिंग भी है। चाय की हीटिंग के बिना तो अब कोई भी काम बनता ही नही है। हर एक ईमानदार बाबू को चाय पर बुलाया जाता है, आखिर कुछ तो है इस चाय में जो वर्षो से लटके काम को चन्द दिनों में पूर्ण करवा देती है। चाय चैनलों के एंकरों को गला फाड़-फाड़कर छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करनें की शक्ति प्रदान करता है, कल रात एक चैनल के एंकर नें चाय पीते-पीते प्रोटोकॉल से बाहर कुछ अलग बोल दिया तो बेचारे कि नौकरी पर बात आ गयी, बाद में पता चला कि चाय के प्याले का किसी अन्य पेय के प्याले से बदल जानें के कारण एंकर प्रोटोकॉल से बाहर चला गया था। खैर, अब प्यालों को पूर्व में चखकर ही एंकरों को दिया जा रहा है ताकि वे प्रोटोकॉल से बाहर न जा सके।

चाय के इतनें फायदे होनें के कारण चाय कम्पनियां आनें वाले समय में अपनें विज्ञापन कुछ इस तरह से कर सकती है जैसे तुरन्त शक्तिदायक कोई नही ऐसा काली चाय जैसा, विटामिन और मेवा से भरपूर काली चाय, पहले उबालों फिर विश्वास करों, कामयाबी की राह काली चाय, ऑफिस के साथ भी ऑफिस के बाद भी काली चाय,

उधर फिल्म जगत में भी फिल्मों के नामों को लेकर गर्माहट जारी है आनें वाले समय में फिल्मों के नाम कुछ इस प्रकार से हो सकते है जैसे कहो न चाय है, सौतन की चाय, चाय का गुलाम, जो पीता वहीं सिकन्दर, चाय न मिलेगी दोबारा, चाय मेरी साथी इत्यादि।

 

व्यंग्यकार

गौरव सक्सेना

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र देशधर्म नें अपनें 12 फरवरी 2023 के अंक में प्रकाशित किया है। 

चाय की गर्माहट


Gaurav Saxena

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