लड़कों का स्कोरकार्ड

 



लड़कों का स्कोरकार्ड

आजकल विवाह के लिए सही रिश्ता मिल जायें तो समझों की आपको पूर्व जन्म का फल प्राप्त हो गया वरना आज कल के लड़कों के कारनामें तो मौहल्लाजाहिर है। मौहल्लें में जितनें बिजली के कनेक्शन पोल से जुड़े होते है उससे कई गुना तो कनेक्शन आजकल के लड़को के जुड़े होते है। उनका पता तो तब चलता है जब उन कनेक्शनों के कारण कोई बड़ा फाल्ट होता है। बिजली का फाल्ट तो सही हो भी जाता है लेकिन रिश्तो में फाल्ट आ जाये तो फिर कोर्ट – कचहरी से कम पर तो बात ही नही बनती है। अब तो विवाह के लिए किसी लड़के वालों के यहॉ जानें के नाम तक से डर लगनें लगा है। पता नही लड़के का चरित्र कैसा हो, वह बेटी का साथ निभायेगा कि नही, रिश्तों को अहमियत देगा कि नही। इन सभी प्रश्नों को सोच-सोचकर तो लड़की वाला खुद डिप्रेशन में चला जाता है। हमें लगता है कि सरकार को अन्य विषयों की तरह इस विषय पर भी जल्द ही कोई रणनीति बना लेनी चाहियें। जिससे लड़की वालों के लिए सही रिश्ता खोजना कुछ आसान हो सकें।


सरकार जैसे एक प्री- परीक्षा का आयोजन करती है और उसका स्कोर कार्ड एक वर्ष के लिए जारी कर देती है जिसके तहत उम्मीदवार उस स्कोर कार्ड में प्राप्त परसेन्टेज के हिसाब से पूरे वर्ष होनें वाली विभागों की मुख्य परीक्षाओं के लिए आवेदन करता रहता है। ठीक इसी प्रकार से विवाह योग्य लड़कों का स्कोर कार्ड हर वर्ष जारी किया जाना चाहियें जिसके तहत लड़की वालों को लड़के के परसेन्टेज के हिसाब से उनके चरित्र इत्यादि के बारे में सुलभता से जानकारी मिल जाया करें, जिसका जितना परसेन्टेज वह उतना अधिक चरित्रवान। बेचारे लड़की वालों को लड़के का इतिहास पता करनें में कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। रिश्तेदारों, मौहल्लावालों, नुक्कड़ पर पान वाले और ना जानें कितनों को गुप्त दान देना पड़ता है तब जाकर कहीं लड़के का इतिहास पता चलता है, वरना तो आजकल फेसबुक और व्हाट्सअप पर सभी लड़के ज्ञानी और समाजसेवी का तमगा अपनी प्रोफाइल में लगायें बैठे है।


इन्हीं समाजसेवी प्रोफाइल के चक्कर में हमारे एक कवि मित्र चक्कर खाकर गिर पड़े। हुआ यूं कि कविवर के फेसबुक पर एक स्वजाति के नवयुवक की फ्रेंड रिक्वेस्ट आयी, कविवर को अपने मित्रों का कुनबा बड़ा करने का शौक था तो तुरन्त रिक्वेस्ट असेप्ट कर ली और धीमें – धीमें चैट इत्यादि का सिलसिला चल पड़ा और यह सिलसिला उन्हे अपनी बेटी के रिश्ते के लिए उस नवयुवक को अपना दामाद बनानें तक बढ़ चला। फिर क्या था कविवर रिश्ता लेकर पहुंच गये उस बतायें पते पर, तो देखा कि उस पते पर कोई घर न होकर एक ऑफिस बना है। तो कविवर नें सोचा कि हो सकता है कि होनें वाले दामाद जी नें अपनें घर की बजाय ऑफिस का पता दिया होगा, आखिर बड़े समाजसेवी जो ठहरे, अपना ऑफिस वगैरह तो बना ही रक्खा होगा। अन्दर जानें पर रिशेप्शन काउन्टर दिखा पूछनें पर सुन्दर युवती नें कहा कि अंकल आप यह फार्म भरकर जमा कर दीजियें और 10,000 रू0 हमारे एकाउन्ट में ट्रांसफर कर दीजियें फिर समाजसेवी क्या जैसा चाहोगे वैसा लड़का आपको दामाद के रूप में मिल जायेगा। हमारे यहॉ हर प्रकार के हाई-फाई प्रोफाईल के लड़के है उनके सम्पर्क सूत्र आपको पेमेन्ट कन्फर्म होनें के बाद दे दियें जायेगे फिर आप उनसे बात कर सकते है।


कविवर बेचारे फिर किसी नयी बला में फसते, इससे पूर्व ही बहाना बना कर वापस लौट आयें और फिर कभी किसी अन्जान की फ्रेन्ड रिक्वेस्ट असेप्ट न करनें की सौगन्ध खाकर निकल पड़े किसी सच्चे समाजसेवी को अपना दामाद बनानें की खोज में......

 

युवा व्यंग्यकार

गौरव सक्सेना

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र देशधर्म नें अपनें 05 फरवरी 2023 के अंक में प्रकाशित किया है। 

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Gaurav Saxena

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