इन्सानों का जहरीला होता खून...

 

इन्सानों का जहरीला होता खून...

 

इन्सानों का जहरीला होता खून...

 

अस्पताल में आज अफरा-तफरी मची है, डॉक्टर से लेकर नर्स तक सभी परेशान है सभी के ऊपर नेताओं का प्रेशर है। आम आदमी की कोई नही सुन रहा है। सब बीबीआईपी मरीज की सेवा में जुटे है। आखिर यह बीबीआईपी मरीज कौन है और इसे क्या हुआ है।

 

काफी मशक्कत के बाद पता चला है कि मच्छरपुर के युवा नेता कट्टन नें किसी इन्सान को काट लिया है और इन्सान का जहरीला खून कट्टन मच्छर के अन्दर घुस गया है जिससे उसे भयंकर मलेरिया हो गया है। इसी को लेकर कट्टन के समर्थक नाराज हो गये है और अस्पताल में अपनें नेता के इलाज के लिए शोर- शराबा करनें लगें है। कट्टन के मलेरिया की खबर तो मानों जंगल में आग की तरह से फैल गयी है। देश के कोनें- कोनें में फैले मच्छर समुदाय में इन्सानों के प्रति आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। उधर कट्टन की स्थिति में कोई सुधार नही है। प्रेस रिपोर्टर और छुटभईया यूट्यूबर अस्पताल के गेट पर कट्टन के हेल्थ बुलेटन रिलीज होनें का इन्तजार कर रहे है। उन सभी का इन्तजार करना ठीक उसी प्रकार से है जिस प्रकार से अपनें पसन्दीदा अभिनेंता की नई फिल्म के रिलीज होनें का इन्तजार उनके फैंस को होता है। 

 

कुछ ही देर में वरिष्ठ डॉक्टरों के एक दल नें गेट पर आकर हेल्थ बुलेटिन जारी किया जिसमें बताया गया है कि कट्टन की स्थिति में कोई सुधार नही है उसे खून की सख्त जरुरत है, खून का जल्द इन्तजाम न हुआ तो उसकी जान भी जा सकती है। उसे O positive खून की जरूरत है। लेकिन प्रश्न यह है कि मच्छरों की जाति में तो सभी का खून मिश्रित होता है क्योकि सभी बिना किसी भेंदभाव के हर ब्लडग्रुप के इन्सानों का खून पीते है। तभी तो इनके ब्लड ग्रुप लम्बे – लम्बे होते है जैसे ABCOO+ इत्यादि।

 

O+ ग्रुप का खून तो कोई इन्सान ही दे सकता है लेकिन इस समय तो इन्सान और मच्छरों के बीच तनातनी बनी हुयी है। अब भला इन्सानों से कोई मच्छर कैसे खून मांगे। इन्सानों से बदला लेनें के लिए गॉवों से टैक्टरों में भर- भर के मच्छरों का दल अस्पताल में आ रहा है। सभी मच्छर अपनें नेता के स्वास्थ्य के लिए अस्पताल में दुआयें कर रहे है तथा मौका मिलते ही इन्सानों पर आक्रमण करके अपनी शक्ति का प्रर्दशन भी कर रहे है। यहीं कारण है कि अस्पतालों में आज इन्सानों से ज्यादा मच्छर भनभना रहे है। इन्सान अपना मुंह छिपाकर घूम रहा है।
 

तभी मच्छरों के एक दल नें कोर्ट में दलील दी है कि इन्सानों का खून यदि दिनों-दिन इतना जहरीला होता गया तो आगे क्या होगा। हम मच्छरों का तो अस्तित्व ही मिट जायेगा। यदि समय रहते इस पर ध्यान नही दिया गया तो समाज में चारों तरफ जहर ही जहर फैल जायेगा और हम मच्छरों से कहीं ज्याद खतरा तो स्वयं इन्सान को इन्सान से होगा। मच्छरों की दलील का जबाब खोजा जा रहा है लेकिन कट्टन के लिए O+ ब्लड डोनर का मिलना अब नामुकिन ही लग रहा है। लग रहा है अब दुआ ही दवा का काम करेगी।

 

लेखक

गौरव सक्सेना

 

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र " देशधर्म" नें अपनें दिनांक 13 नवम्बर 2022 के अंक में प्रकाशित किया है। 

इन्सानों का जहरीला होता खून...

 

 

 

Gaurav Saxena

Author & Editor

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