खोखली ईमानदारी

 

खोखली ईमानदारी

खोखली ईमानदारी

 

राधा हर शाम बाजार में ताजी तरकारी बेचनें के लिए जाती है और देर रात तक बाजार में इस उम्मीद में बैठी रहती है कि सारी तरकारी बिक सके जिससे घर का खर्चा सही से चल सकें, लेकिन हर रोज तरकारी बिकनें से रह जाती है और उदासी लेकर राधा घर वापस चल देती है। बाजार में अन्य सभी दुकानदार के पास अपनी पक्की दुकान और प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था है, जिस कारण से अपेक्षाकृत अधिक ग्राहक ऊंची दुकान पर जाना पसन्द करते है भले ही उनके पकवान फीके ही क्यो न हो। वहीं राधा फुटपाथ पर बिछौना बिछा कर मोमबत्ती के प्रकाश में देर रात तक तरकारी बेचती रहती है। लेकिन ठन्डी हवा के थपेड़े बार- बार मोमबत्ती को बुझा देते है और हर बार राधा मोमबत्ती जलाकार मानों हवा को ही मात दे रही हो। 

 

मन्द प्रकाश में काम करनें के कारण अब उसकी नैत्र ज्योति भी कम हो गयी, अस्पताल में दिखाया तो आंखो पर चश्मा लगा दिया गया। और कम प्रकाश में काम करनें से मना कर दिया गया। अब फुटपाथ पर रात्रि में प्रकाश की कैसे व्यवस्था हो, यह एक बड़ी समस्या राधा के सामनें खड़ी थी। लेकिन कभी न हार माननें वाली राधा नें पास के एक घर के मालिक से बात की और अपनी समस्या बतायी तो मकान मालिक ने कई शर्तो के साथ उसे 2 घन्टे के लिए बिजली का एक बोर्ड अपनें घर से जोड़नें की अनुमति दे दी, जिसके लिए उसनें मासिक भुगतान समय से अदा करनें की भी हिदायत दी। बेचारी राधा नें सिर्फ एक बल्ब जलानें की स्वीकृति भर कर अपने बैठनें के स्थान को रोशन कर लिया। 

 

इस तरह से रोज रात्रि में बल्ब के प्रकाश में बैठकर तरकारी बैचनें का काम चल रहा था। लेकिन एक दिन राधा का मोबाइल चार्ज न होनें के कारण बन्द हो गया तो उसनें उसी बिजली के बोर्ड में मोबाइल चार्जर लगा कर फोन चार्ज करना शुरू  ही किया था कि मकान मालिक की पैनी नजर उसपर पड़ी और मकान मालिक आकर के आग बबूला होनें लगा। कि तुमनें एक ही बल्ब जलानें की बात कही थी, और अब चोरी से मोबाइल भी चार्ज कर रही हो। तुम्हे पता है कि यह एक चोरी है, बिजली चोरी.... आखिर ईमानदारी भी कोई चीज है या नही। अब मैं तुम्हे बिजली नही दूगां, तुम और कहीं से अपनी व्यवस्था करो। बेचारी राधा गिड़गिड़ानें लगी.... बोली साहब बिजली न काटों, घर पर मेरा बच्चा बीमार पड़ा है उसी के हाल जाननें के लिए फोन करना था। इसलिए चार्ज कर रही थी। अब एक बल्ब के अतिरिक्त कुछ भी आपकी बिजली से नही चलाऊंगी। मालिक बड़बड़ाता हुआ अपनें घर के अन्दर चला गया। 

 

दूसरे दिन जब शाम को राधा नें फुटपाथ पर अपना बिछौना लगाकर तरकारी सजायी और बिजली का प्लग लगानें के लिए मालिक के दरवाजे पर आवाज लगायी तो अन्दर से कोई आवाज नही आयी, काफी देर दरवाजा खटखटानें के बाद घर की नौकरानी बाहर आयी और उसनें बताया कि साहब को पुलिस पकड़ कर ले गयी है। तो राधा नें कारण पूछा तो नौकरानी नें बताया कि बिजली विभाग के लोगो नें रात्रि में साहब को पकड़ लिया। लेकिन क्यो... राधा नें पूछा.... 

 

नौकरानी नें कहा कि वह हर दिन रात्रि को घर के पीछे लगे बिजली के पोल से चोरी करके बिजली जलाते थे, और सभी से ईमानदारी की बाते करते थें। कल रात्रि में उन्हे रंगे हाथों पकड़ लिया गया। पूरे घर की बिजली काट दी गयी है। सुना है कि उन पर कड़ी कार्यवाही हो रही है।

 

बेचारी राधा वापस आकर तरकारी बेचनें लगी और शायद सोच रही थी कि ईमानदारी का पाठ पढ़ानें वाले स्वंय अन्दर से कितनें बेईमान होते है। अब राधा किसी और ईमानदार मालिक की तलाश में थी जो उसे किरायें पर दो घन्टे के लिए बिजली दे सके।

लेखक

गौरव सक्सेना

354 – करमगंज, इटावा

 

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र वेलकम इंडिया नें दिनांक 08 जनवरी 2022 के अपने अंक में प्रकाशित किया है। 

तथा दैनिक समाचार पत्र देशधर्म नें दिनांक 09 जनवरी 2022 के अपनें अंक में प्रकाशित किया है। 

खोखली ईमानदारी


Gaurav Saxena

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