तिरंगे की शान....

 

तिरंगे की शान....

तिरंगे की शान....

 

आज सड़क पर अन्य दिनों की अपेक्षा ज्यादा चहल- पहल है। कुछ बच्चें प्रभात फेरी निकाल रहे है। हर कोई देशभक्ति के गीत गुनगुना रहा है। कमला नें अपनें 8 वर्षीय बेटे आजाद को कागज से बनें तिरंगे झण्डे दियें और कहा बेटा जाओ अच्छे से बेचना, जब तिरंगे बिक जायें तो मेरे पास आकर और ले जाना। मैं फुटपाथ पर और सामान बेचूंगी। लेकिन मॉ आज क्या है और यह तिरंगे आज ही के दिन लोग क्यो खरीदते है। बेटा ज्यादा तो मुझे भी नही पता है बस यह समझ लो कि आज के दिन हम पूरी तरह से स्वतन्त्र थें और आज के ही दिन हमारा अपना कानून बना था। .यह क्या बोल रही है मॉ ..... मुझे कुछ समझ नही आ रहा है। अरे बेटा मैं किसी पढ़े लिखे बाबू साहब से पूछ कर तुझे बाद में बता दूंगी। तू जल्दी से तिरंगे बेच...... 2 रू का एक तिरंगा है... ध्यान से बेचना। कुछ पैसे आ जाये तो तेरे बापू की दवा आ जायेगी।

ठीक है मॉ.....  

बाबू जी, तिरंगा ले लो ...... ले लो बाबू जी..... आजाद जनवरी की कड़ाके की सर्दी में तिरंगा बेच रहा है। लेकिन खरीददार तो कार के शीशे तक को नीचे नही उतार रहे है। हर कोई मानों तिरंगे को अन्देखा कर रहा हो।

तभी चौराहे से गुजरती लोगो की भीड़ नें आजाद का ध्यान भंग किया। सभी लोग जोर – जोर से नारे लगा रहे थें। भारत माता की जय..... भारत माता की जय....... आजाद नें भी नारों की आवाज में अपनी आवाज मिलायी। तो कुछ लोगो नें आजाद से चलते – चलते कहा कि तुम यहॉ क्या बेच रहे हो। उधर रामलीला मैदान पर पहुंचो नेता जी आनें वाले है नास्ता पानी मिलेगा।

बेचारा भूखा प्यासा आजाद अपनें तिरंगो के साथ रामलीला मैदान के एक किनारे खड़े होकर तिरंगे बेचनें की भरकस कोशिश करनें लगा। लेकिन किसी नें एक भी तिरंगा नही खरीदा। नेता जी का जोरदार स्वागत हुआ और फिर नेता जी नें एक लम्बा भाषण दिया औऱ तिरंगे की आन बान शान में एक कविता भी पढ़ी और अन्त में नेता जी कहा कि हम सभी को तिरंगे का सम्मान करना चाहियें उसी की शान में हमारी शान है। हमें हर हाल में तिरंगे की शान को बनाये रखना होगा। आजाद तल्लीनता के साथ नेता जी की बातो को सुन रहा था। कुछ ही देर में मंच से उतर कर नेता जी चल दियें और पीछे चल दिया नेता जी का काफिला......

तभी अचानक से आजाद को नेता जी में अपना एक धनवान ग्राहक नजर आया। तो लपक कर लोगो की भीड़ को चीरता हुआ नेता जी की कार के पास पहुंचा और नेता जी से बोला ...साहब मेरे तिरंगे को खरीद लो.... सुबह से बिक्री नही हुयी है। चार पैसा कमा लेगे तो बीमार पिता की दवाई आ जायेगी। नेता जी शायद कुछ बोलते पीछे से एक जोरदार धक्का आया और आजाद धड़ाम से गिर पड़ा। नेता जी का काफिला निकल पड़ा। और आजाद जमीन पर पड़ा अपनें सीनें से तिरंगो को चपेटे था। आजाद तो घायल हो गया था लेकिन उसनें तिरंगे की शान में कोई कमी नही आनें दी। सभी तिरंगे सुरक्षित थें। क्योकि नेता जी कहा भी था कि हमें हर हाल में तिरंगे की शान बनाये रखना होगा।

 

लेखक

गौरव सक्सेना

 

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र देश धर्म नें अपनें 23 जनवरी 2022 के अंक में प्रकाशित किया है।

तिरंगे की शान....


 

Gaurav Saxena

Author & Editor

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