नफरत की दीवारे तोड़ो मन की दुर्गन्ध मिटाओं।

नफरत की दीवारे तोड़ो मन की दुर्गन्ध मिटाओं।

 

नफरत की दीवारे तोड़ो मन की दुर्गन्ध मिटाओं।

 

नफरत की दीवारे तोड़ो मन की दुर्गन्ध मिटाओं।


मजहब का अपमान न हो सबको सम्मान दिलाओं।।

 

जात-पात से ऊपर उठकर मानवता का पाठ पढ़ाओं।

गुरू शिष्य परम्परा कायम हो, शिक्षा की अलख जगाओं।।

 

खूब पढ़े और खूब बढ़े खुशहाली का पैगाम चलाओं।

रहे धरा पर कही न अन्धेरा, जगमग ज्योति जलाओं।।

 

गौ सेवा भाव कभी न त्यागों, वन्यजीव सुरक्षा दया सिखाओ।

रहे दिलों में सदभाव सभी के, अम्बर पर सदा राज कराओं।।

 

सेवा भाव अर्पण की बाते, सर्वस्य सदभावना ही अपनाओ।

चूक न होवे कर्तव्य पथ की, निज गौरव ध्यान बढ़ाओ।।

 

लेखक

जगत बाबू सक्सेना

सह - सम्पादक प्रज्ञा कुंभ

 

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र "देश धर्म" नें दिनांक 04 जुलाई 2021 के अंक में प्रकाशित किया है। 

नफरत की दीवारे तोड़ो मन की दुर्गन्ध मिटाओं।


 

Gaurav Saxena

Author & Editor

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