प्रकृति का संरक्षण जरूरी

 

प्रकृति का संरक्षण जरूरी


प्रकृति का संरक्षण जरूरी

इस वक्त देश कोरोना महामारी की चपेट में है। लगभग हर राज्य इस महामारी से निपटनें के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है। अर्थव्यवस्था में भी तरलता बनी रहे तथा आम आदमी की रोजी रोटी चल सके इसके लिए देशव्यापी लॉकडाउन पर तो सरकार का अभी कोई फैसला नही है लेकिन राज्य सरकारे इस दिशा में आगे बढ़ रही है और लॉकडाउन की अवधि भी बढ़ाती जा रही है। हालांकि कोरोना संक्रमित मरीजों में कमी तथा स्वस्थ्य होने वाले मरीजो की बढ़ती संख्या एक सुखद पहलू है। इस तरह से लॉकडाउन को सफल कहा जा सकता है।


वास्तव में इस कोरोना महामारी ने इन्सान को पूरी तरह से झकझोर दिया है। महामारी ने इन्सान को बता दिया है कि प्रकृति से छेड़छाड़ का परिणाम कितना घातक हो सकता है। निरन्तर प्राणवायु के लिए बढ़ती इन्सानी जरूरत ने आज यह अहसास तो करा दिया है कि ऑक्सीजन के लिए वृक्षो का होना कितना महत्वपूर्ण है।  अगर समय रहते मानव ने प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन न किया तो भविष्य में इसके और अधिक घातक परिणाम भोगने होगे। इन्सानी जिन्दगी ने शायद कभी कल्पना भी नही की होगी कि उसे एक महामारी इस तरह से घरो में कैद रहने पर मजबूर कर देगी।


लेकिन अब एकजुटता के साथ इस महामारी से लड़ने का समय आ चुका है। इसके लिए सरकार की कुशल रणनीति के साथ- साथ आम जनमानस की सहभागिता भी अति आवश्यक है। जब तक आम जनता पूरे मन के साथ इस महामारी में सरकार का साथ नही देगी तब तक इस पर विजय पाना असम्भव है। नि:सन्देह संयमित जिन्दगी को जीना कठिन होगा परन्तु यह असम्भव बिल्कुल नही है। इसमें ध्यान रखना होगा कि हमारी एक छोटी सी लापरवाही कोरोना महामारी की जीतती जंग को हरा सकती है। 

हमें इसके बचाव के लिए बताये नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। हमें परेशानी होगी तो कुछ दिन सहन करना होगा। मनुष्यता को बचाना है तो एड़ी चोटी का बल सरकार के साथ- साथ आम जनता को भी लगाना होगा। तर्क- वितर्क और कुतर्क को छोड़िये यह समय इन्सानियत को दिलो में पैदा करने का है। किसी का इन्तजार मत करिये जो बन पड़े मनुष्यता की रक्षा के लिए करिये। इस महामारी को हरानें के लिए आपकी क्षमता और योग्यता की आज देश को नितान्त आवश्यकता है।

लेखक
गौरव सक्सेना

उक्त लेख को दैनिक जागरण कानपुर संस्करण नें दिनांक 14 मई 2021 के अंक में प्रकाशित किया है।

प्रकृति का संरक्षण जरूरी

Gaurav Saxena

Author & Editor

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