देश वैश्विक महामारी
कोरोना वायरस की चपेट में पिछले दो माह से है और इस महामारी के बचाव के चलते पूरे
देश में लॉक-डाउन चल रहा है। लॉक-डाउन से जहॉ कोरोना संक्रमण की रफ्तार में नि:सन्देह कमी आई है परन्तु
देश की अर्थव्यवस्था को एक बहुत भारी हानि भी हुई है। देश में लोगो के सामने
आजीविका के लिए संकट खड़ा हो गया। कोरोना के साथ- साथ बन्द पड़ी अर्थव्यवस्था को
पटरी पर लाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार जारी लॉक-डाउन मे यथा सम्भव कुछ
रियायते भी दे रही है, तथा राज्य सरकारे भी स्थानीय जिला प्रशासन के अनुरूप
जिलाबार आर्थिक गतिविधियों को प्रारम्भ करने में लगी है। इस बीच यह देखा जा रहा है
कि कुछ दुकनदार अत्यधिक लाभ कमाने
के उद्देश्य से प्रशासन से चोरी छिपे महंगे दाम पर वस्तुए बेंच रहे है तथा ग्राहको
द्वारा विरोध करनें पर सामान देने से मना कर देते है।
चूंकि प्रशासन कोरोना संक्रमण
रोकनें और आर्थिक गतिविधियों के कार्य में व्यस्त है तो वहीं दुकनदार इसका गलत
फायदा उठा रहे है। दुकनदारों को यह याद रखना चाहिये कि कोरोना के चलते ग्राहको के
पास भी धन का अभाव है यदि आप सामान के भाव में छूट नही दे सकते तो निर्धारित मूल्य
में तो ग्राहको को सामान बेंच ही सकते है। किसी भी प्रकार से छल और कपटपूर्ण तरीके
से सामान न बेचे। इस संकट की घड़ी में प्रशासन का साथ देकर मान्वीय मूल्यो को
जीवित रखकर अपना व्यापार करें, जिससे समाज में खुशी व्याप्त होगी और एक दिन पूरा
भारत पूर्व की भांति खड़ा होकर अपना परचम लहरायेगा।
उक्त लेख को दैनिक जागरण समाचार पत्र ने अपने कानपुर संस्करण में दिनांक 27 मई 2020 को मानवीय मूल्यों का रखें ध्यान नाम से स्थान दिया।
लेखक
गौरव सक्सेना
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