स्मार्टफोन की लत नें
छुड़वा दी लिखनी पढ़ने की पुरानी परम्परा।
आज स्मार्टफोन इस
कदर हमारी जिन्दगी में प्रवेश कर जायेगा इसका अन्दाजा हमें शायद नही था। तकनीकि के
बढ़ते प्रयोग और सुगम होती जिन्दगी से किसी को भी कोई गुरेज नही है पर प्रश्न यह
है कि स्मार्टफोन का अत्यधिक प्रयोग जिन्दगी में कुछ कड़वे अनुभव भी ला रहा है
इसके अत्यधिक प्रयोग की लत ने आज अपनें घातक विष को आम जनमानस की जिन्दगी में
घोलना शुरू कर दिया है। इसके घातक प्रभाव तो कई सारे है जिसका जिक्र हमनें अपने
इसी ब्लॉग में स्मार्टफोन के दुष्परिणाम के नाम से आप तक साझा किये है। लेकिन आज
एक अछूता प्रश्न यह है कि स्मार्टफोन हमें जाने अनजाने आलसी भी बना रहा जिसका
परिणाम यह हो रहा है कि हम अपनी लिखनें पढ़नें की पुरानी परम्परा को दिन-प्रतिदिन
भुलाते जा रहे है। आईये इसी प्रश्न की पड़ताल करते है।
प्राय: यह देखा जा रहा है कि हम
छोटी- छोटी लिखनें की चीजे जैसे किसी दुकान, व्यक्ति का सम्पर्क नम्बर, उसका नाम
लिखने की जगह फोन में फोटो खींच लेते है जबकि इस काम को अगर लिखा जाता तो महज 1
मिनट का समय ही लगता। रास्ते चलते किसी किमी0 संकेत को फोन कैमरे में कैद करना
शायद आधुनिकता तो नही हो सकती है। हद तो तब हो जाती है जब छात्र, नौकरी पेशा जन भी
सेमीनार, मीटिंग में लिखने की बजाय फोन में फोटो खीचनें में अपना विस्वास रखते है।
और अगर आप प्रयोग के तौर पर देखना चाहें तो गोष्ठी और मीटिंग समापन पर लोगो की
डायरी में झांक कर देख लेना कितनें लोगो ने एक अक्षर तक मीटिंग से प्राप्त ज्ञान
को कागज पर लिखने की जद्दोजहद नही उठायी होगी, जबकि आज भी चन्द लोग डायरी लेखन
जैसी कला को जीवित रक्खे हुये है।
एक कल्पना शायद आपके होश उड़ा सकती है
कि यदि आपका फोन गुम हो जाये और किसी अपराधिक प्रवृति के व्यक्ति के हाथों लग
जायें तो क्या होगा, शायद आप स्तब्ध हो जायेगे क्योकि आपने तो आधुनिक बनने के शौक
में अपने डेबिट कार्ड, बैंक से प्राप्त एटीएम पिन पेपर और न जानें कितनी पुरानी
पासबुक के पृष्ठों की फोटो को संरक्षित कर रखा है। और न जाने कितनी मीटिंग का
महत्वपूर्ण ज्ञान फोटो के रूप में संरक्षित करके रखा है। यकीन मानिए, आपके डेबिट
और क्रेडिट कार्ड की तस्वीर से ही हैकर बहुत कुछ कमाल कर सकते और उन्हे आपके पिन
या CVV नम्बर की भी आवश्यकता नही है।
आज इस बुरी आदत के चलते लोगो में देखा गया है कि
उन्हे जब भी कभी मजबूरी में लिखना पड़ता है तो उनके लेखन में अशुद्धियों की संख्या
नियमित लेखन कार्य करने वालों की संख्या में अधिक होती है और उनकी लेखन गति भी
दिन-प्रतिदिन धीमी होती जाती है। आपको याद होगा कि कैसे प्राचीन समय में लोग चीजों
को स्मृति के रूप में डायरी इत्यादि में लिखकर संरक्षित करते थे तो उनकी स्मृति
में चीजे अत्यधिक समय तक संरक्षित भी रहती थी । वहीं अगर पढ़ने की बात की जाये तो
लोगो के अन्दर आलस्य ने अपनी पराकाष्ठा ही कर रक्खी है जिसमें लोगो को यदि कोई
लम्बा लेख पढ़ना पढ़ जाये तो उन्हे ऐसे लेख पढ़ना नागवार लगता है। जिसका परिणाम यह
हो रहा है कि लोगों को यदि कोई पत्र या लेख लिखना पढ़ जाये तो उनके मन में लिखनें
के लिए विचार ही उत्पन्न नही होते है। तो कैसे कोई बिना विचार के अपनी अभिव्यक्ति
को कागज पर लिख सकेगा। जबकि स्मार्टफोन के चलन से पूर्व लोग खूब लिखते और पढ़ते
थे। वो दौर हुआ करता था जब चिठ्ठी लिखकर दूर दराज के रिश्तेदार आपस में लिखकर बाते
किया करते थे। वो चिठ्ठी अब गुजरे जमाने की बात हो गयी जिसका लुप्त होना तब
अभिशापित लगता है जब तकनीकि का बढ़ता चलन लोगो की लत बनकर उन्हे खोखला बनाने पर
आतुर हो जायें।
सलाह के तौर पर आप
सभी अपनी पुरानी लिखनें पढ़नें की आदत को पुन: स्थापित करे और इसे खूब प्रयोग में लाये जिससे
आपकी स्मृति क्षमता के साथ – साथ बौद्धिक ज्ञान भी बढ़ेगा। स्मार्टफोन पर पूरी तरह
आश्रित रहना बेईमानी ही होगी।
लेखक – गौरव सक्सेना
Good view
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