बापू और शास्त्री जी के प्रति हमारी सच्ची श्रृदांजली

बापू और शास्त्री जी के प्रति हमारी सच्ची श्रृदांजली


बापू और शास्त्री जी के प्रति हमारी सच्ची श्रृदांजली


महापुरुषों का जीवन हमारे लिए एक आदर्श होता है। और हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा अवश्य लेनी चाहियें। आज बहुत ही शुभ दिन है जब हम सभी भारत के दो महापुरूषों का जन्म दिन 2 अक्टूबर को मना रहे है। आज 2 अक्टूबर के दिन अंहिसा के पुजारी महात्मा गांधी जी का और जय जवान जय किसान के मसीहा भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म दिन है। 


एक और जहॉ गांधी जी ने सत्य, अहिंसा के बल पर देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाई, वहीं सदैव सादगी भरे जीवन शैली में रहकर सिर्फ देश के उत्थान में अपना जीवन समर्पित करने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश को एक सूत्र में पिरोने का वीणा उठाया। वह समय अभी भी भारतीयों के मानस पटल में मौजूद है जब देश में खाद्धान की कमी हो गयी थी, और उस समय देश की बागडोर बतौर प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री जी के हाथों में थी तब शास्त्री जी नें विदेश से ज्यादा कीमत में कम गुणवत्ता वाला लाल गेहूं मगवाकर खाद्धान की कमी को पूरा करनें का भरकस प्रयास किया था, परन्तु जल्द ही उन्होने फैसला लिया की हर भारतवासी सप्ताह में एक दिन सोमवार को व्रत रक्खेगे और भारत के लोग कड़ी मेहनत करके अधिक फसल उत्पादन करेगे जिससे देश को बाहर से गेहूं नही मगांना पड़ेगा। शास्त्री जी के वचन का लोगो पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि इस बात को लोगो ने साहर्ष स्वीकार किया और कुछ ही महीनों में देश पुन: खाद्धान उत्पादन में स्वालंबी बन गया। 


जय जवान - जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी और करो या मरों का नारा देने वाले गांधी जी दोनो ही लोग कड़ी मेहनत के पक्षधर रहे और सदैव देश को विकाश की राह पर ले जाने के लिए लोगो के साथ कन्धा से कन्धा मिलाकर चलते रहे। वैभव पूर्ण जीवन को त्याग कर सादगी भरे जीवन से केवल देश सेवा को ही दोनो महापुरुषों ने अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। गांधी जी आजीवन सत्य की खोज, अहिंसक जीवन, स्वालंबी जीवन, कुटीर उधोग, ग्रामीण विकास, स्वच्छ जीवन शैली को आधार बना जन सेवा करते रहे। 


आज राष्ट्र गांधी जी की 150 वी जयन्ती मना रहा है तब हम सभी को चाहिये कि एकजुट होकर राष्ट्र उत्थान में अपना अमूल्य सहयोग दें। 2 अक्टूबर को अवकाश के रूप में न देखे इसे चन्द नारों और भाषणों की लीक पीटती परम्पराऔं में न बांधे, सच्चे मन से बापू और शास्त्री जी के जीवन को याद करे और उनसे प्रेरणा लेकर उनके सपनो को साकार करें। यहीं हमारी गांधी जी और शास्त्री जी के प्रति सच्ची श्रृदांजली होगी। 


लेखक
गौरव सक्सेना ( दैनिक जागरण, कानपुर संस्करण में प्रकाशित लेख)

Gaurav Saxena

Author & Editor

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