मिलने से सब होता है-- व्यंग्य लेख

 

मिलने से सब होता है-- व्यंग्य लेख

 

मिलने से सब होता है

अरे सुनो जी, अपने बिट्टू नें इसबार फिर से नाक कटवा दी है। अब मैं कॉलोनी की औरतो को क्या मुंह दिखाऊंगी।

अरे भाग्यवान क्या हुआ ? क्यो सुबह – सुबह से चिल्ला रही हो।

चिल्लाऊ न तो क्या करूं, पूरे मौहल्ले में जश्न का माहौल है सभी एक दूसरे को मिठाई खिला रहे है। और फोटो खींच-खींच कर पोस्ट कर रहे है। सभी के सभी हैप्पी वाली फीलिंग फील कर रहे है। और मैं शर्म के मारे मरी जा रही हूं।

अरे तो तुम क्यो सेड वाली फीलिंग फील कर रही हो... क्या हुआ बताओगी भी या नही।

तब श्रीमतीजी ने गूढ़ रहस्य से पर्दा उठाया कि उनके बेटे के क्लास में सभी बच्चों से कम नम्बर आये है। वो तो स्कूल के टीचर से कोचिंग लगवाई थी इसलिए पास भी हो गया बरना तो बस फेल ही हो जाता।

अरे भाग्यवान, यह सब तुम्हारी बजह से ही हुआ है, तुमने सब कुछ स्कूल के टीचर के ऊपर ही छोड़ दिया। आखिर खुद भी तो बच्चो की पढ़ाई पर ध्यान देना होता है।  

फिर आप इसमें मेरी गलती निकालने लगे, इसमे भला मेरी क्या गलती है। बल्कि बिट्टू के कम नम्बरों से पास होने का कारण आपकी ही लापरवाही है। आपने कभी उसकी पढ़ाई की चिन्ता नही की, वह क्या पढ़ रहा है और क्या कर रहा है, आपने जानने की कभी कोशिश नही की है।

अरे मैं ऑफिस के काम से ही थक जाता हूं, मेरे पास इतना समय कहॉ है।

अब नही है समय तो बताओं कि मैं क्या करूं, मौहल्लेवालो को क्या मुंह दिखाऊं।

अरे भाग्यवान, तुम चिन्ता मत करो मैं कल बिट्टू के स्कूल में जाकर टीचर से मिलूंगा।

लेकिन अब मिलनें से क्या होगा......

देखो भाग्यवान पहले तो अपनी छोटी सोच को बड़ा करो, यह जमाना मिलने और मिलानें का ही है। आज हर क्लाइंट बाबू से, बाबू ऑफिसर से, ऑफिसर सचिव से अकेले में मिलता है और सभी के काम पलक झपकते ही पूरे हो जाते है। मिलने मिलाने से बड़े से बड़े मसले हल हो जाते है तो फिर तो यह कम नम्बरों का मसला है, यह तो बस चुटकियों मे हल हो जायेगा।

फिर क्या था अगले दिन टीचर से मेरी मीटिंग हुयी तो टीचर ने बताया कि बिट्टू बहुत कम बुद्धि का है। पढ़ा हुआ उसे याद ही नही होता है। नम्बर तो कम आना लाजमी है।

मेरी इस बात पर बहस छिड़ गयी कि बिट्टू कम बुद्धि का कैसे है। वह कई व्हाट्सएप ग्रुप का एडमिन है, उसके फेसबुक, इंस्टा पर लाखों फॉलोवर है, किस रील के बाद किस क्रीएटर की रील आयेगी। किसके कितने फॉलोवर है, सब कुछ तो उसकी जुबान पर है। फिर भला वह कम बुद्धि का कैसे हुआ।

टीचर मेरी बातो से बौखला गयी गुस्से में लाल होकर बोली, कि आप मेरा समय बर्बाद न करे फेसबुक, इस्टाग्राम की तरह ही एक व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी भी है उसमे अपने बच्चे का दाखिला करवा दीजिये, वही से आपका बिट्टू टॉप कर पायेगा। यहॉ से तो टॉप करने से रहा।

मैं निराश होकर स्कूल से वापस लोट रहा था कि मुझे गेट पर स्कूल के बड़े बाबू मिल गये। वह मेरे मौहल्ले में पहले किराये के मकान पर रहते थे और आजकल आलीशान कोठी के मालिक है। मैने बिट्टू के कम नम्बर की बात बताई तो उन्होनें अकेले में मिलने को कहा।

मैं अकेले में मिला तो उन्होने बताया कि इस साल का तो रिजल्ट आउट हो चुका है, सभी की मार्कशीट सोशल मीडिया में वायरल हो चुकी है। अब कुछ किया तो स्कूल की नाक कट सकती है, लेकिन अगले वर्ष आपके बिट्टू को टॉप कराने का जिम्मा मेरा है। आप बेफ्रिक होकर चैन की वंशी बजाईये, अगले वर्ष का टॉपर आपका बिट्टू होगा।

मैं खुशी से झूमता घर आया तो देखा कि श्रीमतीजी दुखी होकर बैठी थी, वह बोली मिल आये टीचर से, करा आये न अपनी बेईज्जती ....

अरे भाग्यवान, फिर कर दी न तुमने छोटी बात। मैने तुमसे कहा था न कि मिलने से सब हो जाता है। मैं स्कूल के बाबू से मिलकर आया हूं। अब तुम केवल इस बार की बेइज्जती स्वीकार कर लो, अगले वर्ष पूरे मौहल्ले में अपना सिक्का घूमेगा, अपना बिट्टू टॉप करेगा।

 

व्यंग्यकार

गौरव सक्सेना

 

उक्त लेख को दैनिक समाचार पत्र "देशधर्म" ने अपने 30 जुलाई के अंक में तथा दैनिक जागरण ने अपने राष्ट्रीय संस्करण अंक में 03 अगस्त 2023 को प्रकाशित किया है। 

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Gaurav Saxena

Author & Editor

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