आज सदियों से प्रतीक्षित शबरी रूपी नयनों को राम मिल गयें है, आज इक्ष्वाकु वंश के राम की अयोध्या के साथ- साथ तीनों लोक ही राममय हो गये जब भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी नें राम मन्दिर निर्माण की आधारशिला रक्खी, सच्चे अर्थों में यह आधारशिला तो हिन्दू धर्म के मान सम्मान और प्राचीन सनातन धर्म की आधारशिला है जिसके लिए लाखों लोगो नें अपना जीवन न्यौछावर कर दिया था, न जानें कितनें लोगो नें अपनें अरमानों की तिंजाजलि दी थी।
आज अयोध्या नगरी जिस प्रकार से सजी है वैसी शायद ही पूर्व में कभी रही होगी, यह सजावट राम के प्रति अगाध भक्ति और प्रेम को दिखा रही है। वास्तव में राम इस देश की आत्मा है, मनीषा, और सृष्ट्रि के प्राणवायु है, राम हर रूप में विराट और पूर्ण है वह पुत्र, पति, शिष्य, भाई और ईश्वरीय सभी रूपों में मनुष्य को अपना धर्म निभानें के लिए स्वयं को एक आदर्श के रूप में प्रतिष्ठित करते है। किसी भी विषम समय में भी साहस के साथ अपनें वचन और धर्म की रक्षा करना ही राम को राम बनाता है, एक राजा होते हुयें अहंकार का शून्य रूप तो केवल राम का विराट ह्दय ही धारण कर सकता है। राम सदैव समाज के सभी वर्गो को साथ लेकर चलते थे, उन्होने लंका विजय मार्ग पर किसी राजा से सहायता न मांग कर वंचितो, दलितो, वानर भालुओ को अपना साथी बनाया तथा एक नायक के रूप में लंका विजयी भी प्राप्त की। उनके अति सरल स्वभाव पर तो उनके भक्तो का सम्पूर्ण जीवन ही न्यौछावर हो जाता है। सारी उपमायें, अलंकार, कलायें और लेखनी राम पर सर्वस्य ही क्यो न लुटा दी जायें तो भी राम की महिमा को पूर्ण नही कर पायेगी।
हम सभी सौभाग्यशाली है और हमारें पूर्व जन्मों का यह प्रतिफल ही है जब हम सभी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनें है कि हमारे नयनों के राम का एक भव्य मन्दिर बन रहा है। आज नि:सन्देह अति आन्नदित क्षण है जब हम अपनें मन मन्दिर के राम के मन्दिर को वास्तविक रुप में बनते देख रहे है। अब आवश्यकता यह भी है कि हम सभी राम को अपना आदर्श मानकर उनके बताये आचरण को धारण कर रामराज की स्थापना भी करें।
इस लेख को दैनिक जागरण नें पृष्ठ संख्या 6 पर प्रकाशित किया है।
लेखक
गौरव सक्सेना
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