“नीरज” जी आज भी दिलों में जिन्दा है.......................



नीरज जी आज भी दिलों में जिन्दा है.......................


“नीरज”  जी आज भी दिलों में जिन्दा है.......................


महाकवि गोपाल दास नीरज जी का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के पुरावली गॉव में हुआ था, अपनी लेखनी से देश विदेश में नीरज जी ने जो नाम कमाया है उससें छोटे से जनपद इटावा का नाम भी रोशन हुआ है। वे ऐसे सर्वप्रथम व्यक्ति थे, जिन्हे शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा दो बार सम्मानित किया गया था। भारत सरकार नें उन्हे पद्मश्री व पद्म भूषण पुरुस्कारों से नवाजा था, यश भारती पुरुस्कार से भी उन्हे अलंकृत किया गया था। हिन्दी गीतो की नीरज जी के बिना कल्पना भी नही की जा सकती है। हमेशा उनकी लेखनी आम आदमी की व्यथा, सामाजिक कुरीतियों और जागरूकता पर आधारित रहती थी। लेखनी में शब्दों के चयन करनें का सलीका और जनसन्देश देनें के सम्मिलित मिलेजुले भाव नें ही उन्हे जनमानस के मध्य लोकप्रिय बनाया था। जलाऔ दीये पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह न जाए जैसे गीतो से समाज में जागरूकता फैलाना तो कोई नीरज जी से सीखें। साहित्य की दुनियां ही नही उन्होनें फिल्मी दुनियां में भी अपनी लेखनी का लोहा मनवाया है। कई हिन्दी फिल्मों में अपने गीत देकर नीरज जी नें उन्हे भी अमर कर दिया।


शोखियों मे घोला जाए फूलों का शबाब, ए भाई जरा देख के चलों, बस यहीं अपराध मैं हर बार करता हूं, दिल आज शायर है जैसे बेहतरीन नगमें आज भी हर उम्र के लोगो की जुबान पर है। इन्हे हर कोई आज भी बड़ी शिद्दत के साथ गुनगुनाता रहता है। हर आदमी को आज भी लगता है कि जैसे नीरज उनकी ही जीवनी को लिख रहे हो। फिल्म जगत में भी उनके योगदान के लिए उन्हे तीन बार फिल्म फेयर पुरुस्कार से नवाजा गया। 


उनकी काव्य पाठ से श्रौतागण मंत्र मुंग्ध होकर एक अलग दुनियॉ में खो जाते थे। उन्हे यदि जन कवि की संज्ञा दी जायें तो अतिश्योक्ति नही होगी। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर नें उन्हे हिन्दी की वीणा कहकर सम्मानित किया था। 


19 जुलाई 2018 को इस जन कवि, गीत की गंगौत्री नें अन्तिम सांस ली थी, आज नीरज भले ही हमारे बीच न रहे हो, परन्तु उनकी लेखनी आज भी जीवित है। दिलों में राज करते उनके गीत आज भी लोगो के मध्य जीवित है। आम आदमी की व्यथा को अपनी लेखनी से अमर करनें वाले नीरज सदैव हमारी स्मृतियों में जीवित रहेगे। आज हम सभी को उनकी लेखनी से प्रेरणा लेनी चाहियें, यहीं उनके प्रति हमारी सच्ची श्रृदांजलि होगी।  



लेखक
गौरव सक्सेना

Gaurav Saxena

Author & Editor

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