तुलसी के प्रिय राम
मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम चन्द्र जी के जीवन
के कोने- कोने में समहित बाबा तुलसीदास जी का
जन्म श्रावणमास की सप्तमी के दिन हुआ था, इस बार यह पुण्य दिवस 27 जुलाई
2020 को है। आज उनकी जयन्ती पर आवश्यकता है उनके सिद्धान्तो और ग्रंथो से शिक्षा
लेकर उसे जीवन में आत्मसार करनें की।
ज्ञान और भक्ति की गंगौत्री के रूप में
प्रतिष्ठित तुलसी नें राम को जिस रूप में प्रस्तुत किया है उससे समाज के हर एक जन
को जीवन जीनें का आधार मिला है। तुलसी की लेखनी नें उस समय समाज में फैली
कुरीतियों, अनर्थक अधर्मी विचारधारा ओं का
पुरजोर खंडन किया। बाल्मीकि जी के बाद आज के समाज में यदि राम को किसी नें घर –घर तक
पहुंचाया है तो वह केवल तुलसीदास जी ही है। तुलसीदास जी नें रामचरित्रमानस में
प्रभु श्रीराम के चरित्र को समाज से जोड़ा है, श्री राम चन्द्र जी को आदर्श के रूप
में प्रस्तुत करके बाबा तुलसी समाज में मानवीय चरित्र पर बल देते हुये तथा राष्ट्र
धर्म की रक्षा करतें हुयें रामराज की स्थापना को चरितार्थ किया है।
आज हम चाहे किसी भी धर्म में आस्था रखनें वाले
हो हमें तुलसी की लेखनी से शिक्षा लेनी चाहियें, जिनकी लेखनी समाज के हर एक वर्ग
और व्यवस्था को स्पर्श करती है तथा हर वक्त मनुष्य को दृढ़ता के साथ विपत्तियों का
सामना करनें का आत्मबल भी प्रदान करती है। सच में तुलसी किसी व्यक्ति विशेष से
ज्यादा एक युग का उच्चारण है।
आर्दशों के बिना जीवन का कोई मूल्य नही होता है,
वहीं बाबा तुलसी नें समाज में आदर्शो के रूप में राम को प्रस्तुत करके लोगो को
जीवन जीनें का उद्देश्य दिया है। आज के समय में बाबा तुलसी का ग्रंथ रामचरित्रमानस
घोर निराशा में भी आशा की किरण देता है जीवन के हर क्षण को सुखमय बनानें और विषम
परिस्थितियों से लड़नें की शिक्षा प्रदान करता है।
किसी नास्तिक मन को भी भक्ति की संजीवनी देनें में
समर्थ बाबा का महाकाव्य अदभुत है जिसकों आज भी बड़ें भाव के साथ कहा और सुना जाता
है। हम सभी को चाहियें कि अपनें जीवन में किसी न किसी आदर्श की स्थापना अवश्य करें
तथा प्रत्येक क्षण उसके जैसा बननें के लिए चेष्टारत भी रहें। ईश्वरी शक्ति हमारे
मन, वचन और कर्म को सरल बना देती है औऱ आगे बढ़नें का मार्ग भी प्रशस्त करती है।
सरल और सुव्यवस्थित विचारों से ही समाज की दिशा और दशा दोनो बदलती है।
उक्त लेख को दैनिक जागरण, कानपुर संस्करण नें अपनें सम्पादकीय पृष्ठ पर दिनांक 27 जुलाई 2020 को स्थान दिया है।
लेखक
गौरव सक्सेना
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