भारत के लिए घातक - जनसंख्या बिस्फोट



भारत के लिए घातक - जनसंख्या बिस्फोट


जनसंख्या के प्रति लोगो को जागरुक करनें के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। आज के ही दिन 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब के आंकड़े को पार कर गयी थी, बढ़ती जनसंख्या के प्रति जन जागरुकता के तहत संयुक्त राष्ट्र नें इस दिन को जनसंख्या दिवस के रूप में मनानें की निर्णय लिया था। वास्तव में देखा जाये तो बढ़ती जनसंख्या किसी भी देश के लिए एक विकराल समस्या होती है। 


आज की स्थिति पर नजर डाले तो विश्व की जनसंख्या तकरीबन 7.8 अरब हो चुकी है। भारत मे बढ़ती जनसंख्या एक चिन्तनीय विषय है। बढ़ती जनसंख्या के मामले में हम चीन के बाद दूसरे पायदान पर है। इस विषय पर यदि समय रहते ध्यान नही दिया गया तो नि:सन्देह इसके दूरगामी परिणाम घातक होगे। और वह दिन दूर नही जब हम जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे पछाड़कर शीर्ष पर होगे। 


भारत में संसाधनों की कमी और निरन्तर बढ़ती जनसंख्या के कारण गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे क्षैत्रों में निरन्तर विकराल समस्याये खड़ी हो रही है। परिवार भरण- पोषण की ज्वलन्त समस्या, घातक बीमारियों के कारण जूझते लोग, स्वच्छ जल और वायु के लिए संघर्षरत आम जन की पीड़ा को विकास की आड़ में अन्देखा तो नही किया जा सकता है। 


इस दिवस को सार्थक रूप देनें के लिए लोगो को अब यह समझना चाहिये कि बढ़ती जनसंख्या देश की प्रगति में एक विकराल समस्या है, इस पर अंकुश लगानें में ही भलाई है। तथा सरकार को भी जनसंख्या नियन्त्रण सम्बन्धी कोई ठोस कदम उठानें चाहियें या कोई कानून बनाना चाहियें, जिससें समय रहते इस समस्या का निस्तारण किया जा सके। और भारत अपनी पूरी ताकत के साथ विकास की राह पर चल सकें। एक बार पुन:  छोटा परिवार, सुखी परिवार को देशव्यापी जागरूकता के तहत प्रचार प्रसार करनें की आवश्यकता है।

लेखक
गौरव सक्सेना

भारत के लिए घातक - जनसंख्या बिस्फोट

Gaurav Saxena

Author & Editor

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